सरकार की नीति और निष्ठा में शामिल 'सबका साथ, सबका विकास' का मंत्र : पीएम मोदी

अशोक नगर। उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने अशोक नगर जिले में स्थित आनंदपुर धाम में गुरु जी महाराज मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद कार्यक्रम को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज हर गरीब 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' से खाने की चिंता से मुक्त है, आज हर गरीब और बुजुर्ग 'आयुष्मान योजना' के कारण इलाज की चिंता से मुक्त है, आज हर गरीब 'पीएम आवास योजना' के कारण अपने पक्के घर की चिंता से मुक्त हो रहा है, आज 'जल जीवन योजना' के कारण गांव-गांव में पानी की समस्या का समाधान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। गरीब से गरीब वर्ग के बच्चे के सपने साकार हो पा रहे हैं। हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो, प्राकृतिक संरक्षित रहे, इसके लिए सरकार ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान भी शुरू किया है। आज इस अभियान के तहत देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं। देश इतने बड़े स्तर पर इतना कुछ कर पा रहा है, इसके पीछे हमारा सेवाभाव ही है। गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प 'सबका साथ, सबका विकास' का मंत्र, सेवा की यह भावना, आज सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि जिस भूमि का कण-कण संतों की तपस्या से सींचा गया हो, जहां परमार्थ एक परंपरा बन चुका हो, जहां सेवा के संकल्प मानवता के कल्याण का पथ प्रशस्त करते हों, वह धरती साधारण नहीं है। इसी कारण हमारे संतों ने अशोक नगर के बारे में कहा था कि यहां शोक आने से डरता है। मुझे खुशी है कि आज यहां बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण दिवस के उत्सव में मुझे शामिल होने का अवसर मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा भारत ऋषियों, मनीषियों और संतों की धरती है। जब-जब हमारा भारत, हमारा समाज, किसी मुश्किल दौर से गुजरता है, कोई न कोई ऋषि, मनीषी इस धरती पर अवतरित होकर समाज को नई दिशा देता है। हम पूज्य स्वामी अद्वैतानंद जी महाराज के जीवन में भी इसकी झलक देख सकते हैं।
उन्होंने जिक्र किया कि एक समय था, जब आदि शंकराचार्य जैसे आचार्यों ने अद्वैत दर्शन के गहरे ज्ञान की व्याख्या की थी। गुलामी के कालखंड में समाज इस ज्ञान को भूलने लगा। लेकिन, उसी कालखंड में ऐसे ऋषि-मुनि भी आए, जिन्होंने अद्वैत विचार से राष्ट्र की आत्मा को झकझोरा। इसी परंपरा में पूज्य अद्वैतानंद जी महाराज ने भारत के जन सामान्य तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया। महाराज जी ने अद्वैत के ज्ञान को हम सभी के लिए और सरल बनाया, उसे सामान्य मानव के लिए और सुलभ कर दिया।