भारत के एयरस्ट्राइक के बाद दोबारा खड़ा हो रहा लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना

By Tatkaal Khabar / 14-09-2025 03:08:05 am | 1681 Views | 0 Comments
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 भारतीय वायुसेना की 7 मई 2025 को एयरस्ट्राइक में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का पाकिस्तान स्थित प्रमुख ठिकाना मरकज़ तैयबा मुरिदके बुरी तरह तबाह हो गया था. ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत की गई इस कार्रवाई में आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा. लेकिन अब इस मुख्यालय को तेजी से दोबारा खड़ा किया जा रहा है और फरवरी 2026 तक इसके तैयार होने की योजना है.

7 मई की रात 12:35 बजे भारतीय वायुसेना ने मरकज तैयबा के भीतर तीन अहम इमारतों को निशाना बनाया. इसमें एक लाल रंग की दो मंजिला इमारत (आवास और हथियार भंडारण के लिए) और दो पीली इमारतें (उम्म-उल-क़ुरा नामक प्रशिक्षण केंद्र और कमांडरों के आवास) शामिल थीं. हमले के बाद केवल ढांचे के अवशेष रह गए.

18 अगस्त से लश्कर ने पांच JCB मशीनों से ढांचे को पूरी तरह गिराना शुरू किया. 7 सितंबर तक पूरा परिसर मलबे में तब्दील कर दिया गया. अब यहां नए ढांचे खड़े किए जा रहे हैं, जिनमें से शुरुआती इमारतें 5 फरवरी 2026 (कश्मीर एकजुटता दिवस) तक तैयार हो सकती हैं. यह वही दिन है जब लश्कर हर साल कश्मीर पर ‘जिहाद सम्मेलन’ आयोजित करता है.

इस पुनर्निर्माण कार्य की निगरानी लश्कर के वरिष्ठ कमांडर मौलाना अबू जर और यूनुस शाह बुखारी कर रहे हैं. फिलहाल अस्थायी रूप से ट्रेनिंग कैंप और ठिकाने बहावलपुर और कसूर ज़िले में शिफ्ट कर दिए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार और सेना ने भी लश्कर को खुलकर मदद दी है. शुरुआती तौर पर 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये दिए गए, जबकि पूरे पुनर्निर्माण पर 15 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है.

फंडिंग का ‘फ्लड रिलीफ़’ खेल
लश्कर इस काम के लिए “बाढ़ पीड़ितों की मदद” के नाम पर चंदा एकत्र कर रहा है. राहत शिविरों की आड़ में जुटाया गया अधिकांश धन मुख्यालय और अन्य नष्ट कैंपों के पुनर्निर्माण में लगाया जा रहा है. यह रणनीति नई नहीं है—2005 के भूकंप के समय भी लश्कर ने इंसानी मदद के नाम पर अरबों रुपये जुटाकर आतंक ढांचे को खड़ा किया था.

स्पष्ट है कि पाकिस्तान की शह पर लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन न केवल जिंदा हैं बल्कि पहले से कहीं अधिक संगठित होकर सक्रिय हो रहे हैं. मरकज़ तैयबा का फरवरी 2026 तक तैयार होना भारत के लिए सीधा सुरक्षा खतरा है.