राज्यपाल ने एकल चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
लखनऊ: 10 सितम्बर, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज अलीगंज स्थित कलास्रोत आर्ट गैलरी में श्रीमती सुषमा अग्रवाल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी ‘आरोहण’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर निशि पाण्डेय, इतिहासकार श्री रवि भट्ट, श्री अनिल रिसाल, श्री रवि कपूर, श्री मोहम्मद शकील सहित अन्य कला प्रेमी उपस्थित थे। राज्यपाल ने उद्घाटन के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ब्रुश और रंग की अपनी ताकत होती है जो किसी चित्र में सजीवता लाते हैं। उन्होंने कलाकारों से कहा कि निकट भविष्य में दो महत्वपूर्ण पर्व आने वाले हैं। आगामी 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती है जिसे पूरा देश मनाने जा रहा है इस बात को लेकर कलाकार अपने कला के माध्यम से बापू जी के वह पक्ष प्रस्तुत करें कि उन्होंने सबको साथ लेकर कैसे आजादी प्राप्त की थी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का महापर्व कुम्भ 2019 का आयोजन प्रयाग में हो रहा है। आयोजन सुव्यवस्थित हो इसलिये राज्य सरकार ने एक समिति का गठन भी किया है। कुम्भ में लगभग 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है जिसमें विदेश से भी बड़ी संख्या में लोगों की आने की सम्भावना है। यूनेस्को ने कुभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत बताया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के दोनों महत्वपूर्ण अवसर पर कलाकार अपना योगदान दें।
श्री नाईक ने कहा कि चित्रकला से सजीवता के भाव का निर्माण होता है और दूसरों को प्रेरणा प्राप्त होती है। चित्रकारिता के अपने नियम, कानून और आत्मा भी होती है। उन्होंने कहा कि ‘चित्रकारी में मेरा ज्ञान न के बराबर है, मैं चित्रों की भाषा बिना समझाये नहीं समझ सकता, पर अच्छे चित्र नेत्र सुख देते हैं।’ राज्यपाल ने अपने बचपन के स्कूल में बनाये जाने वाले ‘टोपी वाला दर्जी और बन्दर’ का प्रसंग भी सुनाया। कला की साधना अभिनन्दनीय है। चित्रकार ऐसी कला का निर्माण करें जिससे लोगों को आनन्द और समाधान मिले। उन्होंने चित्रकार श्रीमती सुषमा अग्रवाल का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ एक शास्वत संदेश है जो निरन्तर आगे बढ़ने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि निरन्तर चलने वाले प्राणी का भाग्य आगे बढ़ता है इसलिये जगत वन्दनीय होने के लिये सूर्य की तरह निरन्तर चलायमान रहना चाहिए।
प्रदर्शनी में डाॅ0 निशि पाण्डेय एवं इतिहासकार श्री रवि भट्ट ने भी अपने विचार रखें। यह प्रदर्शनी 1 सितम्बर से 16 सितम्बर, 2018 तक दर्शकों के लिये खुली रहेगी।