उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित अब ठगी करना आसान नहीं होगा...
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक आखिरकार गुरुवार को पारित कर दिया गया। उपभोक्ता हितों की जोरदार वकालत करने वाले इस विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे उपभोक्ताओं के साथ ठगी करना आसान नहीं होगा। विधेयक में उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए कई सख्त उपाय किए गए हैं। विधेयक के राज्यसभा से भी पारित हो जाने के यह उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान ले लेगा।
विधेयक पर हुई बहस के जवाब में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि पुराने कानून में पिछले तीन दशक में कोई संशोधन नहीं किया गया था। उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए इस कानून को पर्याप्त रूप से मजबूत करने की जरूरत थी। संसद के दोनों सदनों में विधेयक के पारित हो जाने के बाद यह कानून जिला उपभोक्ता फोरम से लेकर राष्ट्रीय शिकायत निवारण आयोग तक में लागू हो जाएगा।
विधेयक में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के गठन का अधिकार है। इसमें उपभोक्ताओं के सामूहिक हितों का संरक्षण किया जा सकेगा। इस विधेयक पर होने वाली चर्चा के दौरान बीजद के तथागत सत्पथी ने कहा कि इससे तो नौकरशाहों को ज्यादा अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताकर इसके प्रावधानों की आलोचना की। जवाब में पासवान ने संसद सदस्य की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया।
चर्चा में राकांपा, तृकां और जदयू के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार की ओर से तत्काल तीन तलाक विधेयक पेश किया गया। विधेयक पर चर्चा के लिए कांग्रेस सहमत हो गई। उनकी ओर से कहा गया कि इसे 27 दिसंबर को लोकसभा में पेशकर चर्चा कराई जाए।
सरकार इस पर सहमत हो गई। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस बिल पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे। हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।'