UP में बीजेपी के सहयोगियों अनुप्रिया-राजभर ने बनाई दूरी
भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के सहयोगियों की नाराजगी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। भाजपा आलाकमान एक को मनाता है तब तक दूसरा रूठ जाता है। यह सिलसिला शिवसेना से शुरू हुआ था और उत्तर प्रदेश में भाजपा की गठबंधन सहयोगी अपना दल(एस) तक पहुंच चुका है। सभी सहयोगी दलों का अपना−अपना दुख−दर्द है। सबको कथित रूप से अपने समाज की अनदेखी किए जाने चिंता है। किसी को दलितों की तो किसी को पटेल, राजभर, जाट समाज की चिंता सता रही है। यह दल बीजेपी को आंखें भी दिखा रहे हैं और दूसरी तरफ सत्ता की मलाई भी चाट रहे हैं। करीब पांच वर्षो तक सत्ता सुख भोगने के दौरान जो नेता अपनी कौम को भूल गये थे, वह ही आज अपनी कौम की हक दिलाने का ड्रामा करके अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगे हैं। हाल−फिलहाल तक बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी के आका रामविलास पासवान नाराज चल रहे थे, लेकिन जैसे ही उनको मनमुताबिक सीटें मिल गईं उनकी नाराजगी खत्म हो गई। शिवसेना भी इसी तर्ज पर बीजेपी पर दबाव की राजनीति कर रही है, जिससे की महाराष्ट्र में उसकी कुछ ज्यादा सीटों पर दावेदारी मजबूत हो जाये।