सूर्य की सतह से निकलती हाई एनर्जी का खुलेगा रहस्य, कितने समय चमकेगा इसका भी होगा खुलासा
जालंधर: यदि आप यह जानना चाहते हैं कि सूर्य की सतह से निकलती हाई एनर्जी की गर्मी व ग्रहण का राज क्या है? उसके आसपास इतनी चमक कैसे फैलती है? सूर्य की कितनी उम्र बची है? कुछ ही सालों में वैज्ञानिक इन सवालों का जवाब खोज लेंगे। इसके लिए अगले साल इसरो आदित्य-एल 1 सेटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस पूरी स्टडी के लिए 300 करोड़ की लागत वाले विजिबल इमीशन लाइन कोर्नोग्राफ (वीईएलसी) उपकरण का इस्तेमाल होगा। जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) बेंगलुरु ने तैयार किया है।
वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि सूर्य की सतह पर कौन-कौन से केमिकल हैं। उनका तापमान कितना ज्यादा होता है कि उनसे इतनी ऊर्जा पैदा होती है। यह ऊर्जा कितनी देर या कितने दिन तक बरकरार रहती है। यह भी अनुमान लगाया जा सकेगा कि अगर यह केमिकल इसी तापमान से गर्म होता रहेगा तो सूर्य की अनुमानित उम्र कितनी बची होगी।
सूर्य के बिल्कुल नजदीक जाने वाला दुनिया में अपनी तरह का होगा अकेला ऐसा उपकरण
वहीं, सूर्य की सतह के आसपास बने चमकदार घेरे यानी कोरोना में कौन-कौन सी गैसें होती हैं। कितना रेडिएशन निकलता है। कौन-कौन सी हानिकारक किरणें निकलती हैं। इतनी चमक कैसे होती है, इस सबकी स्टडी की जाएगी। सूर्य की चमक के साथ उसके आसपास चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है। यह पूर्वानुमान भी संभव होगा कि उस वक्त सेटेलाइट उस दायरे में न जाएं। सूर्य की स्टडी के बाद अंतरिक्ष के मौसम का अनुमान लगाना भी संभव होगा।
इस उपकरण से सूर्य ग्रहण का सटीक राज खोलने में भी वैज्ञानिक कामयाब होंगे। इससे पता चलेगा कि ग्रहण के वक्त सूर्य की सतह या उसके आसपास ऐसी कौन सी गैसें आ जाती हैं, जिसकी वजह से आगे कालापन आ जाता है।