घर में कभी भी पक्षियों को पिंजरे में बंद करके न पालें..
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी घर में कोई भी जानवर या पक्षी पिंजरे में बंद रहता है तो उस घर से लक्ष्मी सदा के लिए रूठ जाती है। शास्त्रों में पक्षियों की सेवा करने के निर्देश दिए गए हैं ना की उन्हें पिंजरे में बंद करके पालने के। पक्षी कुण्डली के पांच भावों पर प्रभाव डालते है। पिंजरे में बंद पक्षी अपशकुन का प्रतीक हैं। पक्षियों को घर में बंद करके पालना विभिन्न तरह की समस्याओं को न्योता देना है। शास्त्रों के अनुसार मूलतः सभी पक्षी आकाश तत्व को संबोधित करते हैं। शास्त्रों में आकाश तत्व को मोक्ष का मार्ग कहा गया है। व्यक्ति की कुण्डली के पांच घर आकाश तत्व को संबोधित करते हैं। ये पांच घर हैं कुण्डली का पांचवा घर, सातवां घर, नवां घर, दूसरा घर और बारहवां घर। इन पंचों घरों पर केतु का अधिपत्य होता है।
ज्योतिषशास्त्र की पंचपक्षी पद्धिति इस तर्क पर आधारित है। कुण्डली का दूसरा घर सुख, धन और वैभव को संबोधित करता है। कुण्डली का पांचवा घर प्रेम शिक्षा वंश तथा सन्तति (बच्चों) को संबोधित करता है। कुण्डली का सातवां घर जीवनसाथी (पति या पत्नी) संभोग को संबोधित करता है। कुण्डली का नवां घर इष्ट और भाग्य को संबोधित करता है तथा कुण्डली का बरवां घर नुकसान, खर्च तथा मोक्ष तथा पितृ पक्ष को संबोधित करता है। कुण्डली के इन पंचो घरों पर विभिन्न पक्षीयों का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है।
पक्षियों का हमारे जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव इन कुण्डली के पांचो घरों पर पड़ता है। पक्षियों को पिंजरे में बंद करके पालने से व्यक्ति की कुण्डली पांच भाव कुछ इस प्रकार प्रभावित होते हैं। दूसरा भाव प्रभावित होने से संचित धन का क्षय होता है।
पांचवां भाव प्रभावित होने से संतति सुख में अल्पता आती है तथा व्यक्ति में संतानहीनता तक देखी जा सकती है। सातवां भाव प्रभावित होने से जीवनसाथी का स्वास्थ्य बिगड़ता है तथा सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती। कुंडली का नवां भाव प्रभावित होने से भाग्यहीनता आती है
पांचवां भाव प्रभावित होने से संतति सुख में अल्पता आती है तथा व्यक्ति में संतानहीनता तक देखी जा सकती है। सातवां भाव प्रभावित होने से जीवनसाथी का स्वास्थ्य बिगड़ता है तथा सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती। कुंडली का नवां भाव प्रभावित होने से भाग्यहीनता आती है