सुषमा स्वराज और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस में किया प्रवासी भारतीय सम्मेलन का शुभारंभ
बनारस :
वाराणसी (बनारस) में तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन शुरू हो गया है. बड़ालालपुर स्थित ट्रेड फेसिलिटी सेंटर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया. वाराणसी में पहली बार आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया के 75 देशों के करीब 3000 प्रवासी मेहमान शामिल होंगे. सम्मेलन 21 से 23 जनवरी तक चलेगा. उद्घाटन के समय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अलावा विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह, केंद्रीय मंत्री राजवर्धन सिंह राठौर, यूपी की मंत्री स्वाति सिंह भी मौजूद रहीं. विशिष्ट अतिथि हिमांशु गुलाटी नार्वे से सांसद, न्यूजीलैंड के सांसद कमलजीत सिंह बक्शी आदि मौजूद रहे. दुनिया के विभिन्न देशों में रह रहे अपने प्रवासी भारतीयों को जोड़ने के लिए इन कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस मामले में किए गए सरकार के प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.
उत्तर प्रदेश को यह पहला अवसर प्राप्त हुआ है जब हम प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजन हो रहा है. इस बार खास इसलिए कि प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन 2003 में एकदिवसीय था. केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इसे 2 दिन किया गया और इस बार का कार्यक्रम तीन दिवसीय है. प्रवासी युवा भारतीयों को इस कार्यक्रम से जोड़ने का मुख्य मकसद है. प्रवासी भारतीय सम्मेलन के उपलक्ष पर दुनिया के सबसे प्राचीन आध्यात्मिक सांस्कृतिक राजधानी से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.
सुषमा स्वराज ने कहा, दुनिया के तमाम देशों में आप सब ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. अपनी प्रतिभा के माध्यम से लोगों को एक नई दिशा दी है. भारत के प्रति सम्मान का भाव है हमारे रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा अलग हो सकते हैं, उपासना विधियों में अंतर हो सकता है, लेकिन पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण का भारत एक ही है. हमसे अपनी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पंक्तियां खूब महत्वपूर्ण लगती है जननी और जन्मभूमि का कोई विकल्प नहीं हो सकता. यह भाव हम सभी को प्रस्तुत करना होगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, काशी को पहले गलियों का शहर कहा जाता था. काशी में गंगा जी का प्रवाह काशी में मंदिर काशी के घाट आपको देखने का अवसर प्राप्त होगा. 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय पूरे विश्व में आगे बढ़ने काशी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है.