अयोध्या मामले में मध्यस्थता से सुब्रमण्यम स्वामी सहमत नहीं

By Tatkaal Khabar / 06-03-2019 03:19:59 am | 11403 Views | 0 Comments
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अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए पक्षकारों से नाम मांगे हैं. शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विवाद के सर्वमान्य समाधान की खातिर संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध कराएं. 

स्वामी ने कहा, 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता एक निष्फल अभ्यास है. मध्यस्थता पैनल का कोई उपयोग नहीं है, इसका कोई काम नहीं है. क्योंकि केंद्र सरकार पहले ही सभी पैरामीटर सेट कर चुकी है. यह जमीन सरकार की है. अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मुकदमे को जीत भी जाता है तो भी उसे जमीन मिलने नहीं जा रही है. ज्यादा से ज्यादा उन्हें इसका मुआवजा मिल सकता है.

स्वामी ने नरसिम्हा राव सरकार के उस बयान का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि अगर मंदिर के सबूत मिलते हैं तो इस जमीन को हिंदुओं को दे दिया जाना चाहिए. बीजेपी नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच पहले ही कह चुकी है कि मस्जिद को कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है क्योंकि यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. शुरू में निर्मोही अखाड़े के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के कोर्ट के सुझाव का विरोध किया जबकि मुस्लिम संगठनों ने सुझाव का समर्थन किया. हालांकि बाद में हिंदू संगठन मध्यस्थता के लिए नाम देने पर सहमत हो गए.