जबरदस्ती थोपी जा रही आड-ईवन योजना - मनोज तिवारी

By Tatkaal Khabar / 04-11-2019 03:33:40 am | 10621 Views | 0 Comments
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नई दिल्ली-भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर काबू पाने के लिए आज से लागू किये जा रहे आड ईवन योजना को आम आदमी पार्टी की स्वार्थगत राजनीति का हिस्सा बताते हुये कहा कि पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली को गैस चैम्बर बनने देते है और जब प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर पहुंच जाता है तो इस तरह की योजनाओं को चलाकर महंगे विज्ञापनों के माध्यम से अपना राजनीतिक चेहरा चमकाने की कोशिश करते है।

मनोज तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक जो कि 400 के पैरामीटर को पार कर गया है जो बेहद खराब माना जाता है। आज की स्थिति में वो दिल्ली के कई इलाकों में 1200 के आकड़े को पार करते हुये वायु गुणवत्ता मापने वाली मशीनों को भी फेल करने जा रहा है। दिल्ली की हवा विषाक्त हो चुकी है। ऐसा प्रदूषण जो खुली आंखो से साफ देखा जा सकता है, महसूस किया जा सकता है और जिसके जहरीले कण दिन प्रतिदिन दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की संख्या को दोगुना करते जा रहे हैं। दिल्ली की अबोहवा दमघोंटू होती गई और दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरफ से व्यवस्थाएं हर दिन, बद से बदत्तर होती चली गई। अपनी अकर्मण्यता को छिपाने के लिए आड ईवन योजना लाकर अपनी राजनीति चमकाना केजरीवाल सरकार द्वारा किया जा रहा एक ओछा प्रयास है।
तिवारी ने कहा कि बड़े ही शर्म की बात है कि दिल्ली में प्रदूषण, अपने सभी स्तरों को तोड़ रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री उसे कम करने के प्रयास करने की बजाय मास्क बांट कर लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ने हर वर्ष दिल्ली की जनता से पर्यावरण सेस वसूला, लेकिन 1500 करोड़ की राशि को पर्यावरण के संरक्षण के लिए इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने स्वंय यह माना था कि दिल्ली की ट्रासपोर्ट व्यवस्था दुरूस्त नहीं है तो आड ईवन योजना चलाकर मुख्यमंत्री दिल्ली की जनता को दोहरी मार क्यों दे रहे हैं ? दिल्ली से प्रदूषण का स्तर कम करने में केजरीवाल सरकार पूरी तरह से फेल हुई है और ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदूषण कम करने के सकारात्मक प्रयास करने को लेकर मुख्यमंत्री के पास कोई नीति नहीं है और जो नीति है वो यह है कि जनता को रूलाओं, उनके पैसे भ्रष्टाचार में बहाओ और अपनी राजनीति चमकाने के लिए महंगे विज्ञापन देकर करोड़ों रूपये करदाताओं का खर्च करो।

तिवारी ने कहा कि ओला और उबर को ऑड-ईवन योजना से क्यों बाहर रखा गया है, इसके पीछे की मंशा पर संदेह होना मुनासिब है। इस गठजोड़ के पीछे बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प है। ऐसे में अधिकतर लोगों को दिल्ली मेट्रो की ओर रूख करना पड़ेगा और जब मेट्रो में भीड़ बढ़ेगी तो लोग ओला और उबर जैसी बड़ी टैक्सी कम्पनियों पर निर्भर हो जायेंगे। ओला और उबर पर सवारियों का बोझ बढ़ेगा और वो मनमाने दाम से लोगों को अपनी सुविधायें देंगे।