दिल्ली में बढ़ सकती है ऑड एंड इवन की अवधि, सुप्रीम कोर्ट ने मांगे प्रदूषण के आंकड़े
दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने बुधवार को सम-विषम योजना की अवधि बढ़ाने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर सम-विषम योजना की तारीख को बढ़ाया जा सकता है.
इसी बीच प्रदूषण के मु्द्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी आज सुनवाई हुई, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वो पिछले साल के एक अक्तूबर से 31 दिसंबर तक के आंकड़े पेश करने होंगे। यह आदेश अदालत ने सम-विषम योजना के खिलाफ डाली गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया.
दिल्ली में बुधवार सुबह भी धुंध की गहरी चादर पसरी रही और कई स्थानों पर दृश्यता शून्य के करीब पहुंच गई. शहर में हवा की गुणवत्ता और भी ख़राब हो गई तथा प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति के काफी करीब पहुंच गया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 अंकों के स्तर में 487 तक पहुंच गया. यह इस बात का संकेत है कि प्रदूषण की स्थिति गंभीर है जो सेहतमंद लोगों को भी प्रभावित कर सकती है तथा बीमार लोगों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है.
अगर वायु गुणवत्ता 500 के स्तर तक पहुंच जाती है तो फिर आॅड-ईवेन और निर्माण कार्यों पर रोक संबंधी क़दम तत्काल उठाए जा सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की ओर से घोषित क़दमों को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.
प्राधिकरण ने व्यस्त अवधि के दौरान मेट्रो किराये में कमी करने और पार्किंग की दर बढ़ाने जैसे कदमों का ऐलान किया है.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने कहा कि मेट्रो के फेरे बढ़ाने जैसे क़दम उठाए जा सकते हैं, लेकिन उसने किराये कम करने के संदर्भ में कुछ नहीं कहा.
नगर निगमों ने भी पार्किंग का शुल्क करने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
बहरहाल, ईपीसीए ने बीते मंगलवार को स्पष्ट किया था कि उसके आदेश क़ानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की ओर से जारी किए जाने के बाद ये प्रभावी हो जाएंगे.
पर्यावरण मंत्रालय ने जनवरी में राज पत्र अधिसूचना के ज़रिये ईपीसीए को अधिकार दिया था कि वह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू करा सकती है.
भू विज्ञान मंत्रालय में सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि दिल्ली में धुंध स्थानीय मामला नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण क्षेत्र में फैल गई है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी अगले दो-तीन दिन तक बनेगी.
पड़ोसी राज्यों के खेतों में पराली जलाए जाने से उठने वाले धुएं और यहां की नमी की वजह से राष्ट्रीय राजधानी गैस चैंबर में तब्दील हो गई है.
इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत आने लगी. प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए अधिकारियों ने सिलसिलेवार क़दम उठाते हुए प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने और पार्किंग शुल्क को चार गुना करने सहित कई घोषणाएं की.