नागरिकता संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी,इसी सत्र में ही संसद में पेश करेगी सरकार
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए संसद में नागरिकता विधेयक लाया गया था। इस विधेयक में भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों यानि की हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ धर्म के मानने वाले लोग भारत में हैं उन्हें बिना समुचित दस्तावेज के नागरिकता देने का प्रस्ताव है
NRC विवाद के बीच केंद्र की मोदी सरकार नागरिकता बिल को लेकर सक्रीय हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आज इस पर मुहर लग गई है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इसे अगले सप्ताह तक संसद में पास कराने की तैयारी में है क्योकि सरकार की कोशिश इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पास करा लेने की होगी। यह सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। मंगलवार को पार्टी सांसदों की बैठक में भी राजनाथ सिंह ने सभी सदस्यों को संसद में उपस्थित रहने को कहा है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद गृह मंत्री अमित शाह इसे संसद में पेश करेंगे। हालांकि विपक्ष इस बिल का जोरदार विरोध कर रहा है।
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी। सरकार इसी सत्र में अलगे हफ्ते विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल के दौरान इसी साल जनवरी में बिल लोकसभा में पास करा लिया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण राज्यसभा में अटक गया था।
दरअसल, विपक्षी दल धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में नागरिकता विधेयक की आलोचना कर चुके हैं। उनकी मांग है कि श्रीलंका और नेपाल के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। बिल को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने आपत्ति जताई थी और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, राजद, माकपा, बीजद और असम में भाजपा की सहयोगी अगप विधेयक का विरोध कर रही हैं। जबकि, अकाली दल, जदयू, अन्नाद्रमुक सरकार के साथ हैं।