गलवान घाटी : 11 घंटे की मीटिंग के बाद भारत और चीन के बीच सेनाएं पीछे हटाने पर सहमति बनी
भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को हुई बैठक के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से हटने पर सहमति बनी है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि यह बातचीत, ‘‘सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल’’ में हुई और यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों को अमल में लाएंगे
कमांडर्स लेवल की बातचीत के बाद चीन झुक गया है. कल की बातचीत में दोनों देशों के बीच तनाव कम करने पर सहमति बनी है और जिन प्वाइंट को लेकर टेंशन है, उनसे दोनों सेनाएं पीछे हटेंगी.चीन के हिस्से में मोल्डो इलाके में दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच करीब 12 घंटे चली इस बैठक के नतीजे सकारात्मक लग रहे हैं.इस मीटिंग के बाद सेना का बयान आया है.
घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय सेना की ओर से कहा गया है कि मीटिंग में कुछ खास प्रभावी नतीजा नहीं निकल सका है, लेकिन ये बैठक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण रही है. इस बातचीत में पूर्वी लद्दाख से सैनिकों को हटाने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
बातचीत के दौरान भारत की ओर से साफ कह दिया गया है कि एलएसी में जैसी स्थिति 5 मई के पहले थी वैसे ही होनी चाहिए.
भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया और चीन की ओर से मेजर जनरल लियू लिन के नेतृत्व बातचीत हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना प्रमुख मनोज नरवाना ने मंगलवार को लद्दाख का दौरा करने का फैसला किया है. रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि आईटीबीपी पूर्वी लद्दाख में 1547 किलोमीटर एलएसी के साथ सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट पर गश्त कर रही है, जिससे चीन को क्षेत्र में घुसने का कोई भी मौका न दिया जाए.
आईटीबीपी के साथ-साथ उत्तरी मोर्चे पर लड़ने के लिए पिछले कई सालों से प्रशिक्षित विशेष बलों को अब सीमा पर तैनात किया गया है. भारतीय माउंटेन सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जैसा कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान देखा गया था.