सैयद अली शाह गिलानी ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का छोड़ा साथ
श्रीनगर। पाकिस्तान समर्थित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के आजीवन अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को अचानक 16 धड़ों के गठबंधन से खुद को पूरी तरह अलग करने का ऐलान करते हुए संगठन में जवाबदेही के अभाव और विद्रोह का आरोप लगाया.
कश्मीर घाटी में पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों में सबसे प्रमुख गिलानी (90) 2003 में इस धड़े के गठन के बाद से ही इसके अध्यक्ष थे. वह काफी समय से और विशेषकर पिछले साल जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं.
गिलानी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित अलगाववादी नेताओं पर कश्मीर के मुद्दे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने ये आरोप संगठन के घटकों को लिखे पत्र में लगाए. उन्होंने इस पत्र को 'हुर्रियत की मौजूदा हालत के मद्देनजर' शीर्षक दिया है.
सोपोर विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. गिलानी ने कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद चुनाव लड़ना बंद कर दिया था. माना यह भी जा रहा है कि उनकी तबीयत नासाज़ है. पिछले साल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के बाद कश्मीर के भीतर यह एक बड़ी घटना है.
बताया जा रहा है कि कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद सैयद गिलानी को पाकिस्तान स्थित समूहों से आलोचना का सामना करना पड़ा था. पाकिस्तान स्थित समूहों का कहना था कि गिलानी कश्मीर के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए कदमोंं का जवाब देने में नाकाम रहे हैं. अलगाववादी कट्टरपंथी नेता की चुप्पी पर भी कई लोगों ने सवालिया निशान लगाए थे.