भाजपा के कद्दावर नेता लालजी टंडन का हुआ निधन,पार्टी, देश, एवं उत्तर प्रदेश की अपूरणीय क्षति
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) का मंगलवार को निधन हो गया। लालजी टंडन (Lalji Tandon News) के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से बहुत करीबे रिश्ते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। वह यूपी बीजेपी के भी कद्दावर नेता थे
लखनऊ
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टण्डन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। लालजी टंडन का राजनीतिक करियर पार्षद बनने से शुरू हुआ था। उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। उनके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से बहुत करीबी संबंध थे। लालजी टंडन अटलजी को खुद कहते थे कि वह उनके दोस्त, पिता और भाई सब थे।
1952, 1957 और 1962 तक लगातार तीन चुनाव में मिली हार ने अटल जी का दिल लखनऊ से खट्टा कर दिया था। 1991 में उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। जब लालजी टंजन ने वजह पूछी तो उन्होंने हंसते हुए कहा था कि अभी भी कुछ बताने को बचा है क्या? लालजी टंडन ने उन्हें चुनाव लड़ने की जरूरत बताई और इसके साथ ही उन्हें भरोसा दिया कि लखनऊ अब उनके साथ है। वह सिर्फ नामांकन भरने के लिए आएं, बाकी चुनाव हम पर छोड़ दें। अटल जी तैयार हो गए और वह यह चुनाव जीते भी।
व्यक्तिगत जीवन
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में लखनऊ में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन आरएसएस से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक कालीचरण डिग्री कॉलेज लखनऊ से किया। लालजी टंडन की 26 फरवरी शादी 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। लालजी टंडन के तीन बेटे हैं, एक बेटा गोपालजी टंडन योगी सरकार में मंत्री हैं।
ऐसे हुई राजनीतिक करियर की शुरुआत
संघ से जुड़ने के दौरान ही लालजी टंडन की मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई। धीरे-धीरे वह अटलजी के बहुत करीब आ गए। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका निभाई। लालजी टंडन ने अपना राजनीतिक करियर 1960 से शुरू किा। वह दो बार सभासद चुने गए। दो बार विधान परिषद के सदस्य बने। वह इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक सफर को उड़ान मिली।