बर्थडे स्पेशल:जानिए कैसे साक्षी पहुंची रियो तक उनकी स्टोरी, सिर्फ 9 सेकेंड में रच दिया था इतिहास
भारतीय महिला रेसलर साक्षी मलिक आज अपना 28वां जन्मदिन मना रही हैं। महिला रेसलर साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल कर इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 किलो वेट कैटेगरी में देश के लिए मेडल हासिल किया था। साक्षी का यह मेडल ये रियो ओलंपिक में भारत का पहला मेडल है।
साक्षी के ऐतिहासिक 9 सकेंड
देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली साक्षी मलिक के महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 केजी वेट कैटेगरी में भारत के लिए ब्रान्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। उनसे पहले किसी भी महिला खिलाड़ी को ओलंपिक खेलों में कोई मेडल नहीं मिला था। हालांकि, साक्षी मलिक के लिए भी ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने के सपने को साकार करना आसान नहीं था, क्योंकि उनको 6 घंटे के भीतर चार बार कुश्ती के लिए रिंग में उतरना पड़ा था।
साक्षी ने जिस मुकाबले में मेडल हासिल किया वो मुकाबला काफी मुश्किल था। वह आखिरी मिनटों में कजाकिस्तान की पहलवान एमसी इसानु से काफी पीछे चल रही थी। पहले राउंड में वह 0-5 से पिछड़ गई थीं और खाता भी नहीं खोल सकी थीं। हालांकि, साक्षी ने मैच खत्म होने से चंद मिनट पहले जोरदार खेल दिखाया और स्कोर 5-5 से बराबर कर दिया। इसके बाद अंतिम 9 सेकेंड में साक्षी विरोधी पहलवान को पटखनी दे दी। इससे उन्हें लीड प्वाइंट हासिल कर ओलंपिक मेडल भारत की झोली में डाल दिया।
पिता हैं दिल्ली में कंडक्टर
साक्षी के पिता सुखबीर मलिक (दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) डीटीसी दिल्ली में बतौर कंडक्टर नौकरी करते हैं। जबकि उनकी मां सुदेश मलिक रोहतक में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साक्षी ने महज 12 साल की उम्र से रेसलिंग की शुरुआत की थी। उनकी मां नहीं चाहती थी कि बेटी पहलवान बने। उनका मानना था कि पहलवानों में बुद्धि कम होती है। बता दें कि साक्षी के परिवार में उसके दादा भी पहलवान थे। वह उन्हीं के नक्शे कदम पर है।
कैसे करती हैं प्रैक्टिस
वे रोजाना 6 से 7 घंटे प्रैक्टिस करती हैं। कड़ी प्रैक्टिस के बावजूद वे पढ़ाई में अच्छे मार्क्स ला चुकी हैं। रेसलिंग की वजह से उनके कमरे में गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल का ढेर लगा है