अंडर ग्रेजुएट दाखिलों पर शिक्षक संगठन ने डीयू से मांगी जानकारी
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक जानना चाहते हैं कि स्नातक स्तर ( अंडर ग्रेजुएट ) पर कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है। इसके लिए शिक्षक संगठन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जानकारी मांगी है। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव, कार्यवाहक कुलपति, यूजीसी के चेयरमैन व एससी/एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति के चेयरमैन को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी है।
डीटीए ने कहा, "सभी अंडर ग्रेजुएट सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने से पहले कॉलेजों से सब्जेक्ट्स वाइज आंकड़े मंगवाए जाएं। पता किया जाए कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा कितने एडमिशन सामान्य वर्गों के छात्रों के किये हैं तथा उसकी एवज में आरक्षित वर्ग की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है।"
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक जब ये आंकड़े उपलब्ध हो जायें तभी यूनिवर्सिटी को कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए। केंद्र सरकार ने आरक्षित सीटों को भरने के लिए प्रावधान किया है। जब तक कोटा पूरा नहीं हो जाता विश्वविद्यालय और कॉलेजों को स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरना होता है, लेकिन कॉलेजों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा। हर साल आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली रह जाती हैं, लेकिन भरा नहीं जाता।
टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी व विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज ने कुलसचिव, कार्यवाहक कुलपति, संसदीय समितिृ, यूजीसी को लिखे पत्र में बताया है कि शैक्षिक सत्र 2020-21 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, कॉलेजों में कोटे के अंतर्गत स्नातक स्तर ( अंडर ग्रेजुएट ) के छात्रों की विश्वविद्यालय के कॉलेजों में खाली पड़ी सीटो को कॉलेजों ने हाई कट ऑफ निकालकर आरक्षित वर्गो के छात्रों को जो छूट दी गई, वह बहुत कम दी गई वरना सीटें खाली नहीं रहती।
उन्होंने पत्र में बताया है कि हर वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी से संबंधित छात्रों की अलग-अलग कॉलेजों में, अलग-अलग विषयों में बहुत सारी सीटें खाली रह जाती है, किन्तु कॉलेजों द्वारा अपने यहां इन खाली सीटों को भरने के लिए कट ऑफ कम नहीं करते। साथ ही न प्रवेश की तिथि को आगे बढ़ाकर और न ही कट ऑफ कम कर इन सीटों को भरने में रुचि लेते हैं, जिससे कैम्पस व कैम्पस के बाहर सीटें खाली पड़ी हुई हैं।