Full Dress Rehearsal: राजपथ पर बिखरी देश की रंग बिरंगी छठा
देश की ऐतिहासिक विरासत , सांस्कृतिक धरोहर और सैन्य शक्ति का आज राजपथ पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गणतंत्र दिवस परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल में प्रदर्शन किया गया। आगामी मंगलवार को 72 वें गणतंत्र दिवस समारोह की परेड से पहले शनिवार को राजपथ पर इसका पूर्वाअभ्यास किया गया। परेड के दौरान कोविड महामारी का पूरा असर दिखाई दिया। इस बार परेड में कई पारंपरिक आकर्षण नजर नहीं आए।
गणतंत्र दिवस समारोह में हर बार किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्यातिथि के तौर पर बुलाया जाता है हालांकि इस बार कोविड महामारी के कारण समारोह में कोई विदेशी हस्ती मुख्यातिथि नहीं होगी। सरकार ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, लेकिन ब्रिटेन में कोविड के कारण भयानक स्थिति उत्पन्न होने के मद्देनजर उन्होंने आने में असमर्थता जता दी।
फुल ड्रेस रिहर्सल में परेड की शुरूआत सेना के हेलिकॉप्टरों द्वारा राजपथ पर पुष्प वर्षा के साथ और सलामी मंच पर राष्ट्रपति को प्रतिकात्मक सलामी के साथ हुई। जनरल आफिसर कमांडिंग दिल्ली एरिया लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा ने राष्ट्रपति को सलामी दी इसके बाद परेड के सेकेंड इन कमान अधिकारी मेजर जनरल आलोक कक्कड़ ने सलामी दी। उनके पीछे परमवीर चक्र विजेताओं सुबेदार मेजर योगेंद्र यादव ,सुबेदार संजय कुमार तथा अशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल डी श्रीराम कुमार सलामी मंच से गुजरे।
इसके बाद परेड का मुख्य आकर्षण बंगलादेश की तीनों सेनाओं के जवानों का दस्ता कर्नल एम चौधर के नेतृत्व में कदमताल करते हुए गुजरा जिनके साथ बंगलादेश का सैन्य बैंड भी स्वर लहरी बिखेर रहा था। वर्ष 2016 में फ्रांस के सैन्य दस्ते के बाद यह दूसरा मौका है जब किसी विदेशी सेना के मार्चिंग दस्ते ने परेड में हिस्सा लिया है। तीनों सेनाओं , सुरक्षा बलों , पुलिस बलों तथा एनसीसी और एनएसएस के मार्चिंग दस्तों ने भी अपनी उत्साह तथा जोश से भरी , कदमों के तालमेल से परिपूर्ण परेड से राजपथ को दहला दिया।
कुल 18 मार्चिंग दस्तों ने परेड में कदम से कदम मिलाकर अपने अनुशासन तथा ऊर्जा तथा कौशल का परिचय दिया। इनमें घुड़सवारों तथा ऊंट पर सवार जवानों का भी एक एक दस्ता शामिल था। इनके साथ साथ सेनाओं तथा विभिन्न सुरक्षा बलों तथा पुलिस बलों के 36 बैंडों ने भी राजपथ पर स्वर लहरी का जादू बिखेरा। इन बैंडों ने हंसते गाते, सरहद के रखवाले, बलिदान और सारे जहां से अच्छा जैसे गीतों की धुन बजाई।