निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तो पूरी हो गई लेकिन अभी तक इंसाफ मिलना बाकी है. निर्भया के माता-पिता ने अगले साल आम चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल के लिए अपना वोट ना डालने का फैसला किया है. निर्भया के माता-पिता का कहना है कि सरकार ने बलात्कार पीड़ितों के लिए जल्द फैसला करने का वादा किया था लेकिन कुछ होता नज़र नहीं आ रहा है सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषियों को मौत की सजा को बरकरार रखते हुए कहा था कि उनके क्रूर, बर्बर और राक्षसी आचरण ने मानवता को हिलाकर रख दिया औरनिर्भया के माता-पिता ने अगले साल आम चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल के लिए अपना वोट ना डालने का फैसला किया है.वह उदारता के लायक नहीं हैं. 16 दिसंबर, 2012 को राजधानी में चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया के साथ हुई घटना ने देश भर में विद्रोह को जगा दिया था, और भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे आपराधिक मामलों को उजागर किया था निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब आप वोट देने जाओ तो निर्भया याद रखना लेकिन मैं 2019 में किसी को वोट नहीं दूंगी. मुझे अब कोई उम्मीद नहीं है वहीं निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि अगर मौजूदा सरकार ने बलात्कार पीड़ितों के लिए न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई होती और बलात्कार के मामलों में एक नया अधिनियम पेश किया होता तो कठुआ और उन्नाव जैसे मामले सामने नहीं आते आशा ने कहा कि सिर्फ कागज पर ही मेरी बेटी के बलात्कारियों के लिए मौत की सजा हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में हमने जब भी पूछा कि सरकार कैसे पैसे का उपयोग कर रही है तो हमें बताया गया है कि निर्भय निधि के तहत पैसा सीसीटीवी प्रतिष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दिया निर्भया के माता-पिता ने कहा कि कानूनी कमी और आलसी प्रक्रिया ने उन्हें और थका दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले साल, 5 मई को, हमने अदालत के फैसले का स्वागत किया, लेकिन धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया से मुझे डर लगता है कि छह साल बाद भी देरी जारी रहेगी. उन्होंने कहा, हमें नहीं पता कि यह कितना समय ले सकता है. हमारी बेटी को खोने के छह साल बाद, हमें अभी भी हर बार साबित करने के लिए कहा जाता है कि उसके साथ बलात्कार किया गया था निर्भया हत्याकांड मामले में मौत की सजा पाए मुजरिमों में से दो दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई है. इस मामले में दोषी विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने न्यायालय से उनकी मौत की सजा बरकरार रखने संबंधी मई 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.