सोमवार से शुरू होंगे पितृ पक्ष, इन कामों को करने से पितृ हो जाएंगे नाराज
पितृ पक्ष सोमवार से शुरू होकर पितृ मोक्ष अमावस्या तक जारी रहेंगे। हिंदू धर्म के मुताबिक पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते है। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध कर्म करते है।
श्राद्ध पक्ष के दौरान हरिद्वार, गया जैसी जगहों पर जाकर भी पिंडदान किया जाता है। इस दौरान पितरों को याद करते हुए पूजा अर्चना करने से पितृ प्रसन्न होते है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि इन दिनों कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाए और कुछ कार्यों को न किया जाए।
परिजनों के बीच रहते है पितृ
इन 15 दिनों में पितृ गण अपने परिजनों के साथ पृथ्वी पर रहने आते है और फिर अपने लोक के लिए प्रस्थान कर जाते है। इसलिए इन दिनों में ऐसे काम नहीं करने चाहिए जो पितरों को नाराज करें। पितृपक्ष के दौरान नॉनवेज और शराब का सेवन करने से बचना चाहिए। इन दिनों पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन करना चाहिए।
पितृ पक्ष में न करें ये कार्य
इस दौरान बाल और नाखून काटने से परहेज करना चाहिए। इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए कहा जाता है। वहीं श्राद्ध कर्म व इससे संबंधित पूजन विधि सूर्यास्त से पहले ही करें। सूर्य अस्त होने के बाद श्राद्ध कर्म करने से बचें क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
इन खाद्य पदार्थों का न करें सेवन
इन दिनों कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। इन दिनों लौकी, सरसो, खीरा, चना, जीरा आदि नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा मांसाहारी भोजन का सेवन भी न करें।
जानवरों व पक्षियों को दें सम्मान
पितृ पक्ष के दौरान जानवरों या पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि अगर कोई जानवर या पक्षी इन दिनों घर आता है तो उसे भोजन अवश्य कराएं।
हिंदू मान्यता के मुताबिक पूर्वज जानवर या पक्षियों का रूप लेकर पितृ पक्ष में अपने परिजनों से भेंट करने आते है। ऐसे में घर आए किसी भी जानवर या पक्षी को भोजन अवश्य करें। इस दौरान उनके साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार न करें।
शुभ कार्य की नहीं होती शुरुआत
श्राद्ध पक्ष के दौरान किसी भी शुक्ष कार्य को करने की मनाही होती है। इस दौरान शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते है। इस दौरान सोना, किसी महत्वपूर्ण वस्तु की खरीदारी करना भी शुभ नहीं होता।