AMU Minority Status: CJI चंद्रचूड़ बोले- AMU अल्पसंख्यक संस्थान है, 4-3 की बहुमत से सुप्रीम कोर्ट का फैसला
AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्ज पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच ने चार-तीन की बहुमत से फैसला सुनाया है.
मामले में सीजेआई सहित चार जजों ने एकमत फैसला सुनाया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ-साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेडी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा फैसले के पक्ष में हैं. बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा इस फैसला का असमर्थन किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलटा
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया है. उन्होंने कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है. हालांकि, तीन जजों की बेंच बाद में AMU के स्टेटस पर फैसला करेगी.
बता दें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2006 में फैसला सुनाते हुए कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी. सात जजों वाली पीठ ने मामले में आठ दिन सुनवाई की थी और एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. नौ माह बाद सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया है.
सुनवाई के दौरान क्या बोले सीजेआई
मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि संस्थान को स्थापित करने और उसके सरकारी तंत्र का हिस्सा बनने में अंतर है. उन्होंने आगे कहा कि आर्टिकल 30(1) का उद्देश्य है कि अल्पसंख्यकों द्वारा बनाया गया संस्थान उनके द्वारा ही चलाया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने भी AMU का अल्पसंख्यक दर्जा किया था खारिज
खास बात है कि 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा खारिज कर दिया. 1967 में पांच जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया था. हालांकि, 1981 में सरकार ने एएमयू एक्ट में संशोधन किया और विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा दोबारा बहाल कर दिया था.