डिंपल यादव ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर उठाए सवाल, संभल मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा की मांग
संसद के 25 नवंबर से शुरू शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे के चलते बार-बार दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ रही है। इस बीच, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले दिनों हुई हिंसा पर लोकसभा में चर्चा की मांग कर रही है।
डिंपल यादव ने गुरुवार संसद भवन परिसर में मीडिया से कहा, "हम चाहते हैं कि लोकसभा में संभल के मुद्दे पर चर्चा हो और लोकसभा स्पीकर की तरफ से हमें आश्वासन भी दिया गया है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा करवाएंगे।"
सपा सांसद ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, "एक रोडमैप बना हुआ है। उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मी लोगों का उत्पीड़न कर रहे हैं। पहले वह एफआईआर लिखवाते हैं और फिर उनसे लगातार वसूली करते हैं। यह संभल का मामला तो है ही, लेकिन पूरे प्रदेश में इसी प्रणाली के तहत पुलिस और सरकार काम कर रही है।"
डिंपल यादव ने सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "मैं समझती हूं, जो सत्ता में लोग बैठे हैं, वे देश को पीछे ले जाने का काम कर रहे हैं और जिस तरह से ये घटनाएं देखने को मिल रही हैं, वे नहीं चाहते हैं कि हमारे युवाओं को रोजगार, बच्चों को आरक्षण मिले और महंगाई कम हो। मेरा मानना है कि सरकार लगातार एक ही बिंदु पर काम कर रही है कि कैसे लोगों का ध्यान भटकाया जाए।"
उन्होंने कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों कह रहे हैं कि बहुत ही सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया है। अगर आप घटना की क्रोनोलॉजी को देखें, जिस तरीके से 19 नवंबर को एक याचिका दायर की गई और उसके बाद उसी दिन जज कहते हैं कि सर्वे होना चाहिए। दो घंटे के भीतर ही प्रशासन सर्वे करने के लिए भी पहुंच जाता है। सर्वे के दौरान हमारे सांसद भी मौजूद रहते हैं और शांतिपूर्वक काम संपन्न होता है, मगर जुमे की नमाज के दौरान बैरिकेडिंग की गई और लोगों को रोका गया।
डिंपल यादव ने कहा कि अचानक प्रशासन 23 नवंबर की रात को फैसला लेता है कि 24 नवंबर को फिर से सर्वे करेंगे। प्रशासन के लोग आगे चल रहे हैं और पीछे से नारेबाजी हो रही है, फिर भी प्रशासन ने नारेबाजी को नियंत्रित नहीं किया। यह प्रशासन द्वारा ही कराया गया घटनाक्रम है, क्योंकि कहीं न कहीं अपनी कुर्सी बचाने के लिए इसे अंजाम दिया गया है।