Uttar Pradesh News / जामा मस्जिद से करीब 300 मीटर की दूरी पर मिला ऐतिहासिक कुआं, खुदाई जारी
Uttar Pradesh News: संभल जिले में हाल ही में कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर को जनता के लिए खोले जाने के बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। मंदिर के खुलने के बाद आसपास के क्षेत्र में पुरातात्विक खुदाई का काम तेज़ी से चल रहा है, और इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण खोजों ने इलाके के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ा दिया है। ताजा जानकारी के अनुसार, गुरुवार को खुदाई के दौरान एक और कुंआ मिला है, जो जामा मस्जिद से लगभग 300-400 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह कुंआ संभल सदर के सरथल चौकी इलाके में पाया गया, जिससे इलाके में और अधिक उत्सुकता का माहौल बना हुआ है।
कुएं की खुदाई और संभावित मंदिर अवशेष
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह कुंआ हिंदू आबादी वाले क्षेत्र में मिला है। नगर पालिका की टीम वर्तमान में कूप के ऊपर से मिट्टी हटाने का कार्य कर रही है। मिट्टी हटाने के बाद इस कूप की खुदाई का कार्य शुरू होगा, जिससे इसके नीचे किसी मंदिर या अन्य संरचनाओं के अवशेष मिलने की संभावना जताई जा रही है। कुछ स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि मलबे के नीचे मंदिर के अवशेष हो सकते हैं। साथ ही, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यहां पर मंदिर के कई हिस्से दिखाई दे रहे हैं।
पुराणों में इस कुएं का उल्लेख
जामा मस्जिद के पास मिले इस कुएं को स्थानीय लोग ऐतिहासिक मानते हैं। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि पुराने समय में लोग इसी कुंए में स्नान करने के बाद हरिहर मंदिर में पूजा करने जाते थे। यह कुआं पुराणों में भी वर्णित है, इस बात का दावा भी किया जा रहा है। एक व्यक्ति ने यह भी कहा कि 20 साल पहले इस कुएं में पानी था, और इसके पास एक मृत्युंजय महादेव मंदिर भी हुआ करता था। यह कुंआ 19 कूपों में से एक है, जिसे "मृत्यु कूप" कहा जाता है, और वर्तमान में इसकी खुदाई की प्रक्रिया चल रही है।
संभल में पुरातात्विक महत्व की खोजें
यह पहली बार नहीं है कि संभल में पुरातात्विक खोजें हो रही हैं। 14 दिसंबर को जिला पुलिस और प्रशासन द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक मंदिर को खोजा गया था, जो 1978 से बंद था। इसके बाद, 22 दिसंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने चंदौसी में एक सदियों पुरानी बावड़ी की खोज की। यह खोज शिव-हनुमान मंदिर के फिर से खुलने के बाद हुई, जो क्षेत्रीय इतिहास और संस्कृति की एक नई दिशा खोलता है।
बावली की खोज और ऐतिहासिक महत्त्व
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि 400 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली एक बावली (बावड़ी) का पता लगाया गया है। यह संरचना लगभग चार कक्षों वाली है, जिसमें संगमरमर और ईंटों से बने फर्श शामिल हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस बावली का निर्माण बिलारी के राजा के दादा के समय में किया गया था। यह खोज इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाती है, और आने वाले समय में इसे और अधिक पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
संभल में चल रही ये पुरातात्विक खुदाई और खोजें इस इलाके के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन घटनाओं से न केवल क्षेत्रीय ऐतिहासिक धरोहर को नया जीवन मिल रहा है, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र पहले से ही धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत समृद्ध रहा है।