"पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था:विदेश मंत्री एस जयशंकर

By Tatkaal Khabar / 28-07-2025 01:41:51 am | 813 Views | 0 Comments
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लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर जारी चर्चा के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने लोकसभा में कहा कि हमने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया है। 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था। हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। पहला कदम यह उठाया गया कि 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक हुई। उस बैठक में निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता। इसके अलावा, अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल बंद किया जाएगा। सार्क वीजा छूट योजना के तहत यात्रा करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को अब यह सुविधा नहीं मिलेगी। पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित (अवांछित व्यक्ति) किया जाएगा। उच्चायोग की कुल कर्मचारी संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी।"

जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई यहीं नहीं रुकेगी। कूटनीतिक दृष्टिकोण से हमारा लक्ष्य था कि दुनिया को इस हमले का सही अर्थ समझाया जाए। हमने पाकिस्तान के लंबे समय से चल रहे सीमा पार आतंकवाद के इतिहास को उजागर किया और बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया गया था।"

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "हमने दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है। हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया और कहा कि हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े। हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया है। सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ही 'ऑपरेशन सिंदूर' का विरोध किया। यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस ऑपरेशन का विरोध किया।"

विदेश मंत्री जयशंकर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में बोलते हुए कहा, "हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर था। चुनौती यह थी कि इस समय पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जबकि भारत नहीं है। हमारा लक्ष्य दो चीजें हासिल करना था। पहला सुरक्षा परिषद से इस बात की पुष्टि करवाना कि इस हमले के लिए जवाबदेही जरूरी है। साथ ही हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना है।"

उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान में परिषद के सदस्यों ने इस आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की। उन्होंने पुष्टि की है कि आतंकवाद, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।