रामपुर रज़ा लाईब्रेरी द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन, राज्यपाल ने किया सम्मानित

By Tatkaal Khabar / 04-10-2018 02:27:18 am | 8826 Views | 0 Comments
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 लखनऊः 4 अक्टूबर, 2018  
    उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  राम नाईक ने आज राजभवन में रामपुर रज़ा लाईब्रेरी द्वारा आयोजित समारोह में डाॅ0 ज़ियाउद्दीन ‘शकेब’ को मध्यकालीन भारतीय इतिहास के लिये ‘नवाब फैजुल्लाह खाँ पुरस्कार 2016-17’, डाॅ0 नाहीद आबिदी को संस्कृत के लिये ‘नवाब रज़ा अली खाँ पुरस्कार 2015-16’ तथा प्रो0 शरीफ हुसैन कासमी को फारसी के लिये ‘नवाब रज़ा अली खाँ पुरस्कार 2016-17’ के लिये धनराशि रूपये एक लाख ग्यारह हजार का चेक, अंग वस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इसी क्रम में पत्रकारिता के लिये ‘मौलाना अली मोहम्मद जौहर पुरस्कार (सीनियर) 2016-17’  अहमद सईद मलीहाबादी को रूपये एक लाख तथा ‘मौलाना अली मोहम्मद जौहर पुरस्कार (जूनियर) 2016-17’ डाॅ0 अभिनव उपाध्याय को रूपये पचास हजार एवं उर्दू प्रकाशन के लिये मुंशी नवल किशोर पुरस्कार अलहसनात बुक्स प्राईवेट लिमिटेड दिल्ली को रूपये एक लाख का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव, कुलपति ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय प्रो0 माहरूख मिर्जा, रामपुर रज़ा लाईब्रेरी के निदेशक प्रो0 हसन अब्बास व अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने सम्मानमूर्तियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि सम्मान समारोह नये-नये लोगों को समाज के सामने लाने का कार्य करता है। सम्मान समारोह के माध्यम से लिखने वालों की कलम का अंदाजा होता है। शब्दों की ताकत से चेतना का संचार होता है। राज्यपाल ने कहा कि रामपुर रज़ा लाईब्रेरी सराहना योग्य है जिसने अरबी, फारसी, उर्दू, संस्कृत आदि भाषों के लिये पुरस्कार देने की नई परम्परा शुरू की है। रामपुर रज़ा लाईब्रेरी के पुरस्कार का अपना महत्व है। पुरस्कार में धनराशि का नहीं बल्कि सम्मान का महत्व होता है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू भाषा आपस में बहनें हैं। 
    श्री नाईक ने रज़ा रामपुर लाईब्रेरी के समृद्ध संग्रह की सराहना करते हुये कहा कि रज़ा रामपुर लाईब्रेरी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। शताब्दियों पुरानी लाईब्रेरी वास्तव में देश के लिये एक सांस्कृतिक धरोहर एवं अनमोल खजाना है। लाईब्रेरी की तुलना रिजर्व बैंक से करते हुये उन्होंने कहा कि बौद्धिक क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाने वाली यह लाईब्रेरी जो 17वीं शताब्दी में पौधे के रूप में रोपित की गयी थी, अब वट वृक्ष के समान है। लाईबे्ररी में अनेक भाषाओं की 17 हजार पाण्डुलिपियाँ एवं 60 हजार से अधिक किताबें हैं। उन्होंने कहा कि समाज रामपुर रज़ा लाईब्रेरी के समृद्ध संग्रह का लाभ उठाये। 
इस अवसर पर लाईब्रेरी के निदेशक प्रो0 हसन अब्बास ने लाईब्रेरी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुये सम्मानमूर्तियों का परिचय दिया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो0 माहरूख मिर्जा एवं डाॅ0 नाहीद आबिदी ने भी अपने विचार रखे।