डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न
मन, वचन एवं कर्म से जीवन पर्यन्त अपने को उपाधि के अनुरूप सिद्ध करते रहें - राज्यपाल ने
लखनऊ: 12 अक्टूबर, 2018
राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने मन, वचन एवं कर्म से जीवन पर्यन्त अपने को इस उपाधि के अनुरूप सिद्ध करते रहें। विद्यार्थी अपने माता-पिता एवं गुरूजनों का सदैव सम्मान करें जिन्होंने आपको आकाश में उड़ने के लिये पंखों में ताकत दी है। जीवन में सफलता पाने के लिये प्रमाणिकता, गुणवत्ता एवं कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। सूचना तकनीक ने विश्व की दूरियों को कम कर दिया है। वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा है। आगे बढ़ने में कभी असफलता मिले तो घबरायें नहीं बल्कि उसका कारण तलाशकर दोबारा प्रयास करें। विज्ञान के परिवर्तन को समझें और रोज नया ज्ञान सीखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ‘शार्टकट’ से जीवन की प्रगति रूक सकती है।
श्री नाईक ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत 4 वर्षों में युवाओं को आगे बढ़ाने के लिये अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं। इसी तरह से प्रदेश सरकार भी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है। प्रदेश में बिजली और कानून व्यवस्था में सुधार के कारण निवेशक यहाँ निवेश करने के लिये आकर्षित हुये हैं। उत्तर प्रदेश में ओद्यौगिक विकास का माहौल बना है। गत फरवरी में आयोजित इंवेस्टर्स समिट में रूपये 4.28 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आये हैं। राज्य सरकार ने ‘एक जिला एक उत्पाद’ की योजना के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के साथ प्रदेश के प्रत्येक जिले के विशिष्ट उत्पाद की ब्रांडिग की है। उन्होंने कहा कि युवाओं के पास विकल्प है कि वे नौकरी करना चाहते हैं या स्वरोजगार शुरू करके नौकर देना चाहते हैं।
राज्यपाल ने बताया कि अब तक सम्पन्न 17 विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 8.28 लाख उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं जिसमें 4.46 लाख उपाधियाँ छात्राओं को मिली हैं यानि 54 प्रतिशत। पिछले वर्ष छात्राओं को 51 प्रतिशत उपाधियाँ प्राप्त हुई थी। वास्तव में बेटियों के लिये इस वर्ष अब तक 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी बड़ी उपलब्धि है। डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में आज के दीक्षांत समारोह में 61,619 उपाधियों में से 47,492 उपाधियाँ अर्थात् 77 प्रतिशत उपाधियाँ छात्रों को एवं 14,127 उपाधियाँ अर्थात् 23 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं को मिली हैं। इसी प्रकार कुल 67 पदकों में से 21 पदक अर्थात् 31 प्रतिशत पदक छात्रों को एवं 46 पदक अर्थात् 69 प्रतिशत पदक छात्राओं ने अर्जित किये हैं।
मुख्य अतिथि डाॅ0 आर0ए0 माशेलकर ने पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम को अपना गुरू, मार्गदर्शक बताते हुये कहा कि विद्यार्थी डाॅ0 कलाम से प्रेरणा प्राप्त करें। रामेश्वरम् के एक नाविक परिवार से संबंध रखने वाले डाॅ0 कलाम ने ज्ञान के आधार पर भारत के राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया। उनकी सादगी, मानवता एवं उदार मन अपने आप में एक आदर्श हैं। मानव के लिये कोई सीमा नहीं है। उन्होंने पर्वतारोही अरूणिमा सिंह और स्वपना बर्मन का उदाहरण देते हुये कहा कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो दिव्यांगता भी सफलता के बीच बाधा नहीं बन सकती। बच्चों को शिक्षित करने वाले माता-पिता बधाई के योग्य हैं जिन्होंने आजीवन तोहफे के रूप में अपने बच्चों को शिक्षित किया है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व में सशक्त देश बनाने की जिम्मेदारी आज की युवा पीढ़ी के कंधों पर है।
डाॅ0 माशेलकर ने विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र बताते हुये कहा कि अपनी आकांक्षाओं को संभव बनायें। ऐसा करने के लिये नज़र सितारों पर हो न कि पैरों की ओर। कड़ी मेहनत का हमेशा फल मिलता है। असंभव कहकर छोड़ देना आसान है पर जो प्रयास करते हैं वही विजयी होते हैं। हमेशा समाधान का हिस्सा बने न कि समस्याओं का। कड़ी मेहनत का कोई पर्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि मानवीय सफलता, कल्पना, मानवीय धैर्य की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिये स्वयं को सीमित न करें। डाॅ0 माशेलकर ने डाॅ0 कलाम से जुड़े कई संस्मरण सुनाते हुये बताया कि डाॅ0 कलाम ने कैसे उनको आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया और अपने साथ जोड़ा।
प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन ने कहा कि दीक्षांत समारोह उपाधि प्राप्त करने वालों के लिये विशिष्ट अवसर होता है। विद्या पूर्ण करने वाले विद्यार्थी देश के लिये उत्तम संसाधन हैं। विद्यार्थियों से समाज को बहुत अपेक्षायें हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ0 कलाम के मापदंडों को अपने जीवन में उतारें।
कुलपति प्रो0 विनय पाठक ने स्वागत उद्बोधन के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा कुलसचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।