छत्रपति शाहूजी महाराज सच्चे अर्थों में राजर्षि थे - राज्यपाल

By Tatkaal Khabar / 21-04-2019 02:13:52 am | 8437 Views | 0 Comments
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  लखनऊः 21 अप्रैल, 2019
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  राम नाईक ने छत्रपति शाहूजी महाराज को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज सच्चे अर्थों में राजर्षि थे, वे राजा होकर भी ऋषि व्रत का पालन करने वाले महामानव थे। शाहूजी महाराज वास्तव में आधुनिक दृष्टिकोण के प्रवर्तक एवं युग दृष्टा थे। महाराष्ट्र में सबसे पहले ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने जो सामाजिक समानता और वंचित वर्ग के उत्थान के लिये आन्दोलन शुरू किया उस आन्दोलन को छत्रपति शाहूजी महाराज ने आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने समानता, बंधुत्व एवं उदारवादी सिद्धांत को आधार बनाते हुए आरक्षण की व्यवस्था शुरू की।
उल्लेखनीय है कि 21 अप्रैल 1919 को छत्रपति शाहूजी महाराज को कानपुर में अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा में ‘राजर्षि’ की उपाधि से विभूषित किया गया था। इस घटना को 21 अप्रैल 2019 को सौ वर्ष पूर्ण होेने पर छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच द्वारा छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। राज्यपाल श्री नाईक को इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाना था पर अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में नहीं जा सके। उनके भाषण की वीडियो रिकार्डिंग कार्यक्रम में भेजी गई जहाँ श्रोता उनके विचारों से अवगत हुए। इस कार्यक्रम में कोल्हापुर के मराठी साहित्यकार प्राचार्य डाॅ0 सुनील कुमार लवटे, कुलपति छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर प्रो0 नीलिमा गुप्ता, कुलपति किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट, अध्यक्ष छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच श्री रामचन्द्र पटेल सहित अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।
श्री नाईक ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज प्रजातंत्रवादी एवं समाज सुधारक राजा थे। उन्हें देश के इतिहास में सामाजिक विषमता के खिलाफ संघर्ष करने वाले तथा समानता के लिये संघर्षशील व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है। उनके राजकोष का एक बड़ा भाग शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर खर्च होता था जिसके कारण उस समय कोल्हापुर की साक्षरता दर काफी ज्यादा थी। महिलाओं और कमजोर वर्ग के लिये उन्होंने शिक्षा की अलख जगाई। छत्रपति शाहूजी महाराज ने बाबा साहेब डाॅ0 आंबेडकर जो आगे चलकर संविधान के शिल्पी बने, की प्रतिभा को पहचाना तथा बाबा साहेब को उच्च शिक्षा के लिये विदेश भेजने की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज शिक्षा के साथ-साथ कला, संस्कृति, खेल एवं साहित्य को भी प्रोत्साहित करते थे।
राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है जो संविधान के अनुरूप चलता है। संविधान ने 18 वर्ष व उससे अधिक के भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। वर्तमान में लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। चुनाव को मतदाता की भागीदारी के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है। स्वयं भी मतदान करें और दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करें। मतदान सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है। उन्होंने कहा कि लोकसभा 2019 के चुनाव में सबसे अधिक मत प्रतिशत वाले लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, वार्ड एवं क्षेत्र पंचायत तथा सर्वाधित मत प्रतिशत वाले केन्द्र से जुड़े लोगों का राजभवन में सत्कार किया जायेगा।