लोकसभा में पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक
सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस बिल को सदन में रखा धर्मनिरपेक्षता और समानता की बुनियाद पर 70 साल पहले संविधान में लोकसभा ने महज 7 घंटे की रस्मी बहस के बाद उस नागरिकता संशोधन विधेयक को पास कर दिया जो भारत के मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. इस विधेयक के पक्ष में 311 मत और विपक्ष में 80 मत पड़े. कांग्रेस समते तमाम दलों ने इसका जमकर विरोध किया. करीब 7 घंटे तक चली बहस और उत्तर-प्रत्योत्तर के बाद वोटिंग के आधार पर यह बिल पास हो गया.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की. गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस, आईयूएमएल, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया. शाह ने सदन में यह भी कहा ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती.' नागरिकता अधिनियम, 1955 का एक और संशोधन करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो.