COVID-19 के बाद क्या अंतरराष्ट्रीय उड़ान में होगा बदलाव, जानिए एक्सपर्ट क्या बता रहे है
देश में अनलॉक की प्रक्रिया लगातार रफ्तार पकड़ रही है. आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाये जाने के साथ हवाई सेवाओं का परिचालन शुरू हो चुका है. भारत से अमेरिका और फ्रांस के लिए हवाई सेवायें शुरू हो चुकी हैं. हांलाकि इन सभी उड़ानों को 'एयर बबल' के तहत अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को मान्यता दी गई है. जिसके तहत दो देशों के बीच एक खास एयर कॉरिडोर होता है, जिसमें खास शर्तों के बीच उड़ानों को अनुमति मिलती है. क्या और कैसे काम करता है एयर बबल और आने वाले दिनों में हवाई क्षेत्र में यात्रा अनुमति को लेकर क्या कुछ खास है जानिए विशेषज्ञों से.
एक वरिष्ठ पत्रकार बताते है एयर बबल में दो देशों के बीच समझौते के तहत हवाई यात्रा को मंजूरी दी जाती है. कोविड के बाद जब सब कुछ बंद हो गया और देशों में एक दूसरे की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया. ऐसे में हर देश में कोविड के संक्रमण को रोकने के लिए अलग-अलग नियम हैं. ऐसे में दोनों देश कई मानकों को तैयार करते हैं और सहमती के साथ उड़ान की अनुमति दी जाती है.
कोविड के दौर में अब यात्रियों से कई तरह के अलग से दस्तावेज की भी जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में इन सभी पर एक नियम शर्त के अनुसार हवाई यात्रा को मंजूरी मिलेगी. खास बात ये है कि इसमें दोनों देशों से उड़ान कब-कब कितने दिन तक चलेगीं, इन सभी का जिक्र होता है. ये एयर बबल सिर्फ तब तक के लिए है जब तक की खतरा टल नहीं जाता है. कोविड का खतरा कम होने के बाद पहले की तरह उड़ाने सामान्य हो जाएंगी.
एयर बबल में कई मानक करने होंगे पूरे
एयर बबल के तहत आने वाले नियमों के बारे में बताते हुए एविएशन एक्सपर्ट अंकुर भाटिया कहते हैं कि कई देश ऐसे हैं जहां यात्रा से 72 घंटे पहले यात्री का आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य है. इसके साथ ही उस देश में पहुंचने के बाद यात्री का दोबारा टेस्ट कराया जाएगा. इस तरह सेफ्टी का एक तरह से भरोसा हो जाता है. इस तरह देखें जैसे दिल्ली में अभी जो यात्री दूसरे देशों से पहुंच रहे हैं उनके लिए सात दिन का क्वारनटाइन जरूरी है. लेकिन इन एयर बबल से उन लोगों को काफी सहूलियत होगी जो अपने काम पर वापस लौटना चाहते हैं या जो फंस गए थे. इसी तरह धीरे-धीरे जब लोग काम पर जाएंगे और वहां जो फंसे हैं आएंगे तो धीरे-धीरे आर्थव्यवस्ता के साथ ही चीजे सामान्य होंगी.