पराली का धुआं इस कोरोना टाइम में जानलेवा, 800 हेक्टेयर खेतों में दिल्ली सरकार हटाएगी पराली
दिल्ली सरकार ने यह बात स्वीकार की है,कि पराली के धुएं से होने वाला प्रदूषण कोरोना महामारी के दौरान जानलेवा साबित हो सकता है। अब दिल्ली सरकार लगभग 800 हेक्टेयर खेतों में पराली की समस्या सुलझाएगी। दिल्ली के खेतों में किसानों से पराली जलाने की बजाय एक विशेष घोल इस्तेमाल करने की अपील की जाएगी। इसके लिए जो किसान स्वीकृति देंगे, दिल्ली सरकार अपने खर्चे से उन किसानों के खेतों में यह घोल डालेगी। इस घोल से धान के डंठल भी समाप्त होंगे और खेतों की गुणवत्ता में भी इजाफा होगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार किसानों के घर जाएगी और जो किसान इसके लिए राजी होंगे, उनके खेतों में दिल्ली सरकार अपने खर्चे पर यह छिड़काव करेगी। इसके लिए दिल्ली सरकार किराए पर ट्रैक्टर लेगी। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 20 लाख रुपए का खर्चा आएगा। यह खर्च दिल्ली दिल्ली सरकार उठाएगी।"
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक यह प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू की जाएगी और 12- 13 अक्टूबर तक खेतों में यह घोल डाला जा सकेगा।
यह दिल्ली के पूसा कृषि संस्थान में आईएआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित बायो डीकंपोजर तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से खेतों की पराली को महज एक कैप्सूल की मदद से हटाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हर साल अक्टूबर में किसान अपने खेत में खड़ी धान की पराली जलाने के लिए विवश होता है, उस जलाई गई धान की पराली का सारा धुंआ उत्तर भारत के दिल्ली सहित कई राज्यों में छा जाता है। इसका दुष्प्रभाव स्वयं किसान और उनके गांव पर भी पड़ता है। कोरोना की इस महामारी के समय में यह प्रदूषण जानलेवा हो सकता है, गांव, शहर, किसान सभी के लिए यह प्रदूषण खतरनाक है।"