उपमुख्यमंत्री के बिना संज्ञान के उत्तर प्रदेश में तबादलों का लगा ताँता
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दूसरी बार चुनी गयी उत्तर प्रदेश सरकार अपने सौ दिन पूरे होने तथा अपने वायदों पर खरा उतरने का जश्न मना रही थी, उसी दिन शाम को वायरल हुए एक पत्र ने रंग में भंग डाल दिया। यह पत्र उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को लिखा था। पत्र में आरोप था कि अपर मुख्य सचिव ने उनसे सलाह लिए बिना तथा तबादला नीति का अनुपालन किये बिना ही स्वास्थ्य विभाग में तमाम तबादले कर डाले हैं।
सरकार के सौ दिन पूरे होने पर लिखे गये इस गोपनीय पत्र के सार्वजनिक होने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह केवल विभाग में मंत्री और अधिकारी की आपसी खींचातान का मामला है, या फिर कोई राजनीतिक कारण है! लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट रहा था कि राज्य सरकार के सौ दिन की प्रेस कांफ्रेंस होने के तुरंत बाद ही उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उसे सार्वजनिक करने की हड़बड़ी हो गई?
दरअसल, यह पहला वाकया नहीं है जब विभागीय मंत्री और उसके अधिकारी के बीच ठनी है। अतीत में भी कल्याण सिंह की भाजपा की सरकार में इसी तरह तत्कालीन नगर विकास मंत्री लालजी टंडन और लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभात कुमार के बीच ठन गई थी, लेकिन तब पत्र लिखने की नौबत नहीं आई थी। बात 1997 की है। भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार गिर जाने के बाद छोटे दलों के सहयोग से कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और लालजी टंडन नगर विकास मंत्री थे। तब अटल बिहारी बाजपेयी लखनऊ से सांसद और देश के प्रधानमंत्री थे। लखनऊ का सांसद होने के नाते अटलजी का पूरा काम लालजी टंडन ही संभालते थे। वह अटल जी के विशेष कृपापात्र थे। कल्याण सिंह भले मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनसे तनिक भी कम हनक लालजी टंडन की नहीं थी। कल्याण सिंह कतई नहीं चाहते थे कि उनके समानांतर सत्ता का संचालन हो इसलिए कल्याण सिंह ने लखनऊ विकास प्राधिकरण में अपने एक खास चहेते अधिकारी प्रभात कुमार को वीसी बनाकर तैनात कर दिया। प्रभात कुमार की पहचान ईमानदार, लेकिन झक्की अधिकारी की थी। टंडन ने लखनऊ में अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश लखनऊ विकास प्राधिकरण को दिया। प्रभात कुमार ने टंडनजी के फैसले पर अमल किया, लेकिन अतिक्रमण हटाओ अभियान की गिरफ्त में उन लोगों को भी ले लिया जो कथित तौर पर लालजी टंडन के करीबी थे। इस घटना के बाद प्रभात कुमार एवं टंडन के बीच ठन गई। टंडन ने कल्याण सिंह से कुछ कहने की बजाय अटलजी के माध्यम से दबाव बनाकर प्रभात कुमार को एलडीए से विदा करा दिया। इस घटना के बाद से ही अटलजी और कल्याण सिंह के बीच दूरियां बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ, जो कल्याण सिंह के भाजपा छोड़ने पर जाकर खत्म हुआ।