मुख्यमंत्री योगी ने नागरिक अभिनन्दन समारोह मेंमुख्यमंत्री योगी ने नागरिक अभिनन्दन समारोह में पदम्श्री से सम्मानित राष्ट्रीय स्वयं सेवक के दो वरिष्ठ प्रचारकों को सम्मानित किया पदम्श्री से सम्मानित राष्ट्रीय स्वयं सेवक के दो वरिष्ठ प्रचारकों को सम्मानित किया
लखनऊ: 25 जून, 2018 - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां गन्ना संस्थान में संस्कार भारती, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित नागरिक अभिनन्दन समारोह में पदम्श्री से सम्मानित राष्ट्रीय स्वयं सेवक के दो वरिष्ठ प्रचारक, संस्कार भारती के राष्ट्रीय संरक्षक बाबा योगेन्द्र जी व विद्या भारती के राष्ट्रीय संरक्षक श्री ब्रह्मदेव शर्मा ‘भाईजी’ को सम्मानित किया।
अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सम्मानित होने वाली विभूतियों ने राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका निभायी है। आज ही के दिन 1975 में देश में आपातकाल लागू किया गया था और ये दोनों विभूतियां आपातकाल की भुक्तभोगी भी रही हैं। उन्होंने कहा कि बाबा योगेन्द्र और ब्रह्मदेव शर्मा जी ने शिक्षा व संस्कार को काफी महत्व दिया। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा संस्कारवान होती है, तभी एक सशक्त राष्ट्र की संककल्पना को साकार किया जा सकता है और यह संस्कारयुक्त शिक्षा देने का काम विद्या भारती बखूबी कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृति के बिना राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती है और संस्कृति बगैर संस्कारों के जीवित नहीं रह सकती। इसके दृष्टिगत संस्कार भारती द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कला एक व्यापक शब्द है, जिसमें शिक्षा व संस्कृति, दोनों का समन्वयन है। उन्होंने कहा कि प्रयाग में होने वाला कुम्भ-2019 धार्मिक व आध्यात्मिक आयोजन का गवाह तो बने ही, साथ ही यहां पर कला प्रेमियों के लिए भी कार्यक्रम आयेाजित हों, जिससे भारतीय संस्कृति को विभिन्न देशों के लोग भी जान सकें।
इस अवसर पर प्रदेश सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, मुकुट बिहारी वर्मा, सुरेश राणा, महापौर संयुक्ता भाटिया, संस्कार भारती के अध्यक्ष गणेश ताम्रकार व संस्कार भारती व विद्या भारती के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि सन् 1981 में संस्कार भारती की स्थापना लखनऊ में की गई थी। तब से लेकर अब तक 37 वर्षों की यात्रा में 1200 इकाइयों और 08 विधाओं-जिनमें साहित्य, संगीत, नाटक, नृत्य, चित्रकला, शिल्पकला, लोक कला और भू-अलंकरण तथा 02 विभागों (मातृ शक्ति और प्रशिक्षण) व 02 आयामों (बाल कला और वनवासी कला) शामिल हैं।
इसी प्रकार, विद्या भारती संस्थान की स्थापना सन् 1977 में हुई थी। यह संस्थान शिक्षा के सभी स्तरों-प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च पर कार्य कर रहा है। इसके अलावा, यह शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करती है। इसका अपना प्रकाशन विभाग है, जो बहुमूल्य पुस्तकें, पत्रिकाएं एवं शोध-पत्र प्रकाशित करता है।