गुप्त नवरात्रि जल्द आरंभ, जानिए इसमें कैसे की जाती है देवी माँ को प्रसन्न
हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। हिन्दू वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ मासों में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें दो नवरात्रि को प्रगट एवं शेष दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रि में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती हैं वहीं आषाढ़ और माघ मास में की जाने वाली देवी पूजा 'गुप्त नवरात्रि' के अंतर्गत आती है। जिसमें केवल मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित कर या जवारे की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है। आषाढ़ मास की 'गुप्त-नवरात्रि' प्रारंभ होने जा रही है। आइए, जानते हैं कि इस गुप्त नवरात्रि में किस प्रकार देवी आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व 13 जुलाई 2018 से शुरू हो रहा है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होकर 21 जुलाई को नवरात्रि का अंतिम दिन होगा।
कई ज्योतिषियों के अनुसार प्रतिपदा की तिथि क्षय होने के कारण गुप्त नवरात्रि 8 दिन की रहेगी, इसी वजह से 14 जुलाई से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत मानी जाएगी।
1. घट स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करना व जवारे स्थापित करना-श्रद्धालुगण अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से नवरात्रि का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: एक या दो कार्यों से भी प्रारम्भ किया जा सकता है। यदि यह भी संभव नहीं तो केवल घट स्थापना से देवी पूजा का प्रारंभ किया जा सकता है।
सप्तशती पाठ व जप-
2देवी पूजन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है। यथासंभव नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए किंतु किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र का जप यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए।
नवार्ण मंत्र - "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै"
3. पूर्णाहुति हवन व कन्याभोज-
नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से किए जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के 'नवार्ण मंत्र', 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' अथवा 'दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र' से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
गुप्त नवरात्रि 2018 के शुभ मंगलमयी मुहूर्त
* घटस्थापना एवं देवी शैलपुत्री पूजा-13 जुलाई 2018 शुक्रवार।
* देवी ब्रह्मचारिणी पूजा-14 जुलाई 2018, शनिवार।
* देवी चंद्रघंटा पूजा-15 जुलाई 2018, रविवार।
* देवी कुष्मांडा पूजा- 16 जुलाई 2018, सोमवार।
* देवी स्कंदमाता पूजा-17 जुलाई 2018, मंगलवार।
* देवी कात्यायनी पूजा-18 जुलाई 2018, बुधवार।
* देवी कालरात्रि पूजा-19 जुलाई 2018, बृहस्पतिवार।
* देवी महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी-20 जुलाई 2018, शुक्रवार।
* देवी सिद्धिदात्री, नवरात्री पारण-21 जुलाई 2018, शनिवार।