नंदी के कानों में मनोकामना कहने का क्या है राज?
अक्सर शिव मंदिरों में देखा होगा कि लोग भगवान शिव के सामने बैठे उनके वाहन नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। उन्हें विश्वास होता है कि नंदी के कान में कही गई उनकी बात भगवान शिव तक जरूर पहुंचती है और वह पूरी होती है। क्या सच में ऐसा होता है? आप कहेंगे कि भगवान शिव जब साक्षात सामने बैठे हैं तो फिर नंदी के माध्यम से अपनी बात उन तक पहुंचाने का क्या तात्पर्य। सीधे शिवजी से भी तो कहा जा सकता है। आइए आज हम इसका राज बताते हैं।
नंदी भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक हैं। कहा जाता है नंदी पूर्व में शिलाद ऋषि थे, जिन्होंने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न् किया और उनसे यह वरदान पाया कि वे सदैव उनके साथ रहेंगे। शिलाद ऋषि की तपस्या से प्रसन्न् होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने वाहन के रूप में सदैव अपने साथ रखने का वचन दिया और तभी से वे नंदी के रूप में शिवजी के साथ रहते हैं। शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव सदैव तपस्या में लीन रहते हैं।