खजुराहो मंदिर और कामसू‍त्र मंदिर के संबंधों का इतिहास , रहस्य जानिए

By Tatkaal Khabar / 19-07-2020 04:18:59 am | 76934 Views | 0 Comments
#

मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहों के मंदिर अपनी अद्भुत शिल्पकला और अकल्पनीय मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया भर में मशहूर है। यहां भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है। वहीं इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं।

खजुराहों में हिन्दू और जैन धर्म के प्रमुख मंदिरों का समूह है, जो खजुराहों समूह के नाम से प्रसिद्ध है। चंदेला साम्राज्य में बने इस अद्भुत मंदिर को इसकी भव्यता और आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है, तो आइए जानते हैं भारत के इस प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

अपनी अद्भुत कलाकृति और कमोत्तेजक मूर्तियों के लिए दुनिया भर में मशहूर मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास स्थित खजुराहों के मंदिर काफी प्राचीन है। खुजराहों के शानदार मंदिरों का निर्माण चंदेल साम्राज्य के समय में किया गया था। भगवान चंद्र के बेटा राजा चन्द्रवर्मन ने खजुराहों के ज्यादातर मंदिरों की स्थापना की थी।

वहीं जैसे ही चंदेला शासन की ताकत का विस्तार हुआ था, उनके साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया था और फिर उन्होंने खुजराहों के इन भव्य मंदिरों का निर्माण काम शुरु किया था। इन मंदिरों के निर्माण में काफी लंबा वक्त लगा था, 950 ईसापूर्व से करीब 1050 ईसापूर्व तक इन मंदिरों का निर्माण किया गया था।

इसके बाद चंदेल वंश के शासकों ने अपनी राजधानी उत्तरप्रदेश में स्थित महोबा को बनी ली थी। वहीं खुजराहों के बहुत से मंदिर हिन्दू राजा यशोवर्मन और ढंगा के राज में बनाए गए थे, जिसमें से लक्ष्मण और शिव जी को समर्पित विश्वनाथ जी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। वहीं 1017 से 1029 ईसापूर्व में गंडा राजा के शासनकाल में बना कंदरिया महादेव का मंदिर खजुराहों के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

आपको बता दें कि अपनी कलाकृति के लिए विश्व भर में मशहूर खजुराहो के मंदिर, उत्तरप्रदेश में स्थित महोबा से करीब 35 मील दूरी पर बनाए गए हैं। 12 वीं शताब्दी तक खजुराहों के मंदिर का सौंदर्य और आर्कषण बरकरार था, लेकिन 13 वीं सदी में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान कुतुब-उद-द्दीन ने चंदेला साम्राज्य को छीन लिया था, तब खजुराहो मंदिर के स्मारकों में काफी बदलाव किया गया था, और इसके सौंदर्य में काफी कमी आ गई थी।

वहीं इसके बाद 13वीं से 18 सदी के बीच मध्यप्रदेश के खजुराहों के ऐतिहासिक और अद्भुत मंदिर मुस्लिम शासकों के नियंत्रण में थे। इस दौरान अपनी अद्भुत कलाकृति और शाही बनावट के लिए मशहूर इन मंदिरों को नष्ट भी कर दिया गया था। आपको बता दें कि लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने 1495 ईसवी में बलपूर्वक खुजराहों के कई प्रसिद्ध मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था।

वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक हिन्दू और जैन धर्म के इस खुजराहों के मंदिरों के समूह में पहले मंदिरों की संख्या 85 थी, जो कि पहले 20 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए थे, और अब इनमें से सिर्फ 20 मंदिर ही ऐसे बचे हैं, जो कि 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं। वहीं खजुराहों के इन मंदिरों में सही देखरेख के अभाव की वजह से काफी नुकसान भी हुआ था, इसके साथ ही कई मंदिरों से मूर्तियां भी गायब होने लगी थी।

यही नहीं कुछ लोगों ने खुजराहो के मंदिरों के दीवारों में बनाईं गईं कामोत्तक मूर्तियों को गलत संकेत मानकर नष्ट करने के भी प्रयास किए थे एवं इन अद्भभुत मूर्तियों को धर्म के विरुद्ध बताया था।

हालांकि, बाद में हिन्दू और जैन धर्म के लोगों ने मिलकर भारत के इस प्रसिद्ध मंदिरों की सुरक्षा को लेकर प्रयास भी थे किए, जिसकी वजह से सिर्फ 20-22 मंदिर ही सुरक्षित हैं, वहीं खजुराहों के मंदिरों को भव्यता और आर्कषण की वजह से साल 1986 में विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया था।

अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तक मूर्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द यह खजुराहो के मंदिर के निर्माण से लेकर एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक काशी के प्रसिद्द ब्राहा्ण की पुत्री हेमावती, जो कि बेहद खूबसूरत थी।
एक दिन नदी में स्नान कर रही थी, तभी चन्द्रदेव यानि कि चन्द्रमा की नजर उन पर पड़ी और वे उनकी खूबसूरती को देखकर उन पर लट्टू हो गए और हेमवती को अपना बनाने की जिद में वे वेश बदलकर उसके पास गए और उन्होंने हेमवती का अपहरण कर लिया।

जिसके बाद दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया और फिर दोनों को चन्द्रवर्मन नाम का एक बेटा हुआ, जो कि बाद में एक वीर शासक बना और उसने चंदेल वंश की नींव रखी। हेमवती ने चन्द्रवर्मन का पालन-पोषण जंगलों में किया था, वह अपने पुत्र को एक ऐसे शासक के रुप में देखना चाहती थी, जिसके कामों से उसका सिर गर्व से ऊंचा उठे।
 
वहीं अपनी माता के इच्छानुसार चन्द्रवर्मन एक साहसी और तेजस्वी राजा बना, जिसने मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास स्थित खजुराहो में 85 बेहद खूबसूरत और भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो कि अपने आर्कषण की वजह से आज भी पूरे विश्व भर में जाने जाते हैं।

खजुराहों के मंदिर की अद्भुत कलाकृतियां अपने आप में अनूठी और अद्धितीय है। वहीं इन मंदिरों के दीवार पर बनाई गईं कुछ कामोत्तेजक कलाकृतियां काफी शानदार है, जिसकी वजह से खजुराहो के मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल किए गया, जिसे देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।

खजुराहो मंदिर का निर्माण कब करवाया गया – When Was Khajuraho Temple Built

अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तक मूर्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द खजुराहों में इन बेहद शानदार मंदिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के समय 950 और 1050 ईसवी के बीच में राजा चंद्रवर्मन ने करवाया था। यहां हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है। खजुराहों के मंदिरों में महादेव जी को समर्पित एक कंदरिया महादेव जी का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है।

 Interesting Facts about the Khajuraho Temple
 
खजुराहों के मंदिर की मान्यताएं
पहली मान्यता

वहीं दूसरी ओर कुछ विश्लेषक ये भी मानते हैं कि प्राचीन काल में लोगों के सेक्स की शिक्षा देने की दृष्टि से भी इनका निर्माण किया गया है। ऐसा भी मानना है कि इन कामुक आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग करने की सही शिक्षा मिलेगी। ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को ही उपयुक्त स्थान माना जाता था।


दूसरी मान्यता

मंदिरो में कामुक मूर्तियों के बनाये जाने के पीछे कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। यही कारण है कि खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं। ये मूर्तियां बहुत ही सुंदरता के साथ बनाई गई हैं।

तीसरी मान्यता

वहीं कुछ और विश्लेषकों का मानना है कि मरने के बाद मोक्ष पाने के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम। इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।

चौथी मान्यता

मंदिरों में बनी इन कामुक मूर्तियों के पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए भी इन मूर्तियों को लोग बहुत मानते हैं।

खजुराहो मंदिर की प्रमुख विशेषताएं – Features Khajuraho Temple

खजुराहों के मंदिर अपनी भव्यता और सुंदर कलाकृतियां एवं मनमोहक कामोत्तक मूर्तिकला की वजह से पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस प्राचीनतम मंदिर की सुंदर कलाकृतियां दुनिया की सबसे खूबसूरत कलाकृतियों में शुमार हैं, जो कि कलाप्रेमियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं।

खजुराहों के मंदिर में दीवारों पर बनी इन अद्धितीय मूर्तियों की बेहतरीन कारीगिरी और नक्काशी की हर कोई तारीफ करता है। खुजराहों के मंदिर में बनी कामोत्तेजक मूर्तियां इसकी प्रमुख विशेषता हैं, इन आर्कषक मूर्तियों के द्धारा जो कामुक कला के अलग-अलग आसन प्रदर्शित किए गए हैं, लेकिन फिर भी यह प्रतिमाएं अश्लील प्रतीत नहीं होती हैं।

इस प्राचीन मंदिर की कलाकृतियों की अद्भुत शिल्पकारी और प्रभावशाली मूर्ति कला की भव्यता की वजह से इन्हें विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। इस शानदार खजुराहों के मंदिर के अंदर करीब 246 कलाकृतियां हैं जबकि 646 कलाकृतियां बाहर हैं, जिनमें ज्यादातर कलाकृतियां कामुकता को प्रदर्शित करती हैं। इसकी बेहद विशेष कलाकृतियों की वजह से खजुराहों के मंदिर की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है .