PM मोदी ने चीन पर किया ये कार्रवाई अब बड़े झटके दे रहा भारत
मोदी सरकार (Modi Government) ने चीन (China) को सिर्फ भारत चीन सीमा पर बल्कि व्यापार के मोर्चे पर भी पीछे धकेलने के लिए कई बड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने डिजिटल स्ट्राइक (Digital Strike) कर जहां 200 से ज़्यादा चीन मोबाइल एप्प्स पर रोक लगाने के साथ ही सरकार ने अब टॉयज यानी बच्चों के खिलौने के क्षेत्र में भी देश से बाहर करने के लिए ठान लिया है।सरकार ने टॉयज को लेकर सख्त कालिथ कंट्रोल आर्डर लागू किया तो वहीं देश के अलग- अलग राज्यों में क्लस्टर डेवेलोप कर टॉयज बनाने के लिए ज़रूरी माहौल और मदद देने की भी शुरुआत कर दी है। हाल ही में जब प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय खिलौना इंडस्ट्री को मजबूत करने की बात अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में स्पष्ट कर दिया था कि इशारा भारतीय खिलौना बाज़ार में चीन के मौजूदा वर्चस्व को तोड़ने की ओर है।
मौजूदा वक्त में भारतीय खिलौना बाज़ार में जिधर देखिए उधर चीन के ही खिलौने नज़र आते हैं। उदारीकरण के दौर से शुरू हुए इस सिलसिले ने पिछले 25 सालों में भारत के भीतर ही भारतीय खिलौनों को हाशिए पर ला दिया। पहले डोकलाम और फिर पिछले कुछ महीने से भारत - चीन सीमा पर चीन से पनपे तनाव ने देर से ही सही लेकिन हाशिये पर पड़ी भारतीय खिलौना इंडस्ट्री पर नज़र डालने पर मजबूर किया। भारत सरकार ने टॉयज इंडस्ट्री के बिगड़े हालात, और समस्या की तह में जाने का फ़ैसला कर लिया है।
चीन के खिलौने घटिया क्वालिटी के होने के कारण सस्ते होते हैं लेकिन ये खिलौने बच्चों के लिए हानिकारक होते हैं। चीन के सस्ते खिलौनों के कारण भारत के बेहतर खिलौने भी बाज़ार में टिक नहीं पाते। लेकिन समझिए कि चीन के खिलौने क्यों इतने सस्ते होते हैं?
दरअसल, चीन में खिलौना इंडस्ट्री को सरकारी संरक्षण मिला हुआ है जिसके तहत उन्हें कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। चीन में टॉयज़ इंडस्ट्री को सरकार से ज़मीन से लेकर मशीन खरीदने तक, कई तरह की सब्सिडी मिलती है। यहां टॉयज़ एक्सपोर्ट करने पर भी सब्सिडी और इंसेंटिव्स चीनी सरकार देती है। टॉय इंडस्ट्री लगाने पर चीन में सस्ते ब्याज दर पर लोन भी मिलता है। चीन में सफल सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम की बदौलत इंडस्ट्री लगाने आसान और तेज़ प्रक्रिया है।
चीन के खिलौना व्यापारियों को सिर्फ़ सोचना है कि उन्हें कैसा खिलौना चाहिए बाकि का सारा काम सरकारी स्तर पर बिठाए गए कॉमन डिज़ाइन सेंटर करते हैं। व्यापारियों को सिर्फ़ अपने कम्पोनेंट की लागत देनी होती है, भटकना नहीं पड़ता।