नई शिक्षा नीति राष्ट्र की प्रगति में अहम् भूमिका निभाएगी : रमेश पोखरियाल निशंक

By Tatkaal Khabar / 19-09-2020 03:17:04 am | 14271 Views | 0 Comments
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए एक विजिटर्स कांफ्रेंस का आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। शनिवार को आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भविष्य में राष्ट्र की प्रगति को गति प्रदान करने में सुकारक की भूमिका निभाएगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है, “मुझे इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में शामिल होते हुए बहुत खुशी हो रही है। आप सभी लोगों का नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में बहुत बड़ा योगदान है। नई शिक्षा नीति देश को नए परिवेश में परिवर्तित करेगी।”

उन्होंने डॉ. के कस्तूरीरंगन की सराहना करते हुए कहा, “नई शिक्षा नीति को गहन विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है, जो अभूतपूर्व और पूर्ण व्यवस्थित है। इस मसौदे को तैयार करने में ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 12 हजार 500 स्थानीय निकायों और 675 जिलों के लोगों से परामर्श लिया गया है। इस नीति को बनाने में करीब 2 लाख लोगों से परामर्श लिया गया है।”

उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में हमारी शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक न्यायसंगत और जीवंत समाज विकसित करने के ²ष्टिकोण को निर्धारित करना है। यह समावेश और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षा व्यवस्था की पिरमिड में सबसे ऊपर रहने के लिए आज के दौर में उच्च शिक्षा संस्थानों की महत्ता और उत्तरदायित्व सर्वाधिक है तभी हम भारत के ‘सुपर पावर बनने की परिकल्पना को साकार कर पाएंगे।’

इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपतियों एवं निदेशकों का विशेष आह्वाहन करते हुए कहा, “नीति निर्माण एक मूलभूत एवं नीतिगत विषय है और नीति क्रियान्वयन रणनीतिक विषय है। इन दोनों के बीच सबसे अहम रोल लीडरशिप का होता है, ऐसी लीडरशिप जो नीति को जमीन पर उतार सके। यहां पर उपस्थित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपतियों एवं निदेशकों से हम अपेक्षा रखते हैं कि भारतीय शिक्षण प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और सशक्तिकरण उनके माध्यम से होगा और शिक्षा की नई लहर भारत के हर छात्र और हर कोने तक पहुंचेगी।”

सभी कुलपतियों एवं निदेशकों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “विश्वविद्यालय का कुलपति या संस्थान के निदेशक होने से पहले आप सभी एक शिक्षक, एक मार्गदर्शक हैं। शिक्षक इस नीति का वह टूल है जिस पर पूरी नीति का कार्यान्वयन निर्भर करता है। एक ओर छात्र जहां केंद्रबिंदु हैं, तो शिक्षक उसके फोकल प्वाइंट हैं। एक शिक्षक ही है जो छात्र को कौशल भी प्रदान करता है