जानिए क्या है आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021? लोकसभा में पेश किया गया तो मचा हंगामा

By Tatkaal Khabar / 22-07-2021 02:05:15 am | 12774 Views | 0 Comments
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नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच गुरुवार को आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 पेश किया गया. जिसमें राष्ट्र की सुरक्षा एवं जन जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से अनिवार्य रक्षा सेवाएं बनाए रखने का उपबंध किया गया है.

विधेयक हुआ पेश तो विपक्ष ने काटा बवाल
लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट (Ajay Bhatt) ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 पेश किया. यह विधेयक संबंधित अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 का स्थान लेगा. जिसे लेकर विपक्ष दलों ने बवाल काट दिया है. रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को पेश किये जाने का विरोध किया.

उन्होंने कहा कि इसमें कर्मचारियों की हड़ताल रोकने का प्रावधान है जो संविधान में मिला मौलिक अधिकार है. यह विधेयक कामगार वर्ग के लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने वाला है और सदन में व्यवस्था नहीं होने पर इस विधेयक को पेश नहीं कराया जाना चाहिए.


मंत्री ने आरोप को बताया तथ्यविहीन
विपक्ष के आरोपों पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि ये तथ्यविहीन हैं. कहीं से भी सरकार का इरादा किसी को परेशान करने का नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है और उनके अधिकारों की सुरक्षा की गई है.

यहां आपका जानना जरूरी है कि 30 जून को एक अध्यादेश जारी किया गया था. इसी के जरिये रक्षा सेवाओं में शामिल किसी के विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल होने पर रोक लगाई गई. 


क्या है आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021?
आंदोलन और हड़ताल किये जाने पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए जारी किए गए ‘आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021’ में क्या कुछ अहम है? अधिसूचना में ये बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति, जो अध्यादेश के तहत अवैध हड़ताल का आयोजन करता है अथवा इसमें हिस्सा लेता है, उसे एक साल जेल या 10,000 रुपए तक जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है.

इस विधेयक में कहा गया है कि रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं और सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव में कार्यरत कर्मचारी अध्यादेश के दायरे में आएंगे.


साथ ही विधेयक में ये भी कहा गया है कि इसके तहत दूसरे लोगों को आंदोलन या हड़ताल में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना भी एक दंडनीय अपराध होगा. बीते दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लगभग 200 वर्ष पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के निगमीकरण की योजना को मंजूरी दी थी.

यहां खास बात ये था कि इस अध्यादेश को उस वक्त लाया गया था जब आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के प्रमुख महासंघों द्वारा OFB को निगमित करने के सरकार के फैसले के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है. रक्षा से संबद्ध सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए.