शनि को शांत करने के लिए करें इस पौधे की पूजा, यज्ञ करने से समाप्त होगा कोरोना का असर
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर अभी तक कोरोना वायरस का सटीक इलाज या किसी वैक्सीन की खोज नहीं कर पाए हैं. ऐसे में हम धर्म शास्त्रों के आधार पर कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से मुक्ति पा सकते हैं. ज्योतिशाचार्यों के अनुसार, धर्म शास्त्रों में ऐसे तमाम पौधों के बारे में पता चलता है जो ग्रह-नक्षण संबंधी समस्याओं का निदान कर देते हैं.
इनमें शनि का प्रकोप सबसे अधिक माना जाता है. शनि देव के प्रकोप से राहत पाने के लिए अन्य पूजा के साथ पीपल वृक्ष के उपायों की बात भी सामने आती है. कोरोना के संक्रमण को लेकर ज्योतिष इसके कारण में शनि को भी एक खास तरजीह दे रहे हैं. हालांकि, पीपल को घर में लगाने की मनाही है तो कई बार इसकी पूजा कर पाना संभव नहीं होता. खासतौर पर लॉकडाउन के इस पीरियड में आप घर से बाहर नहीं जा सकते और ना ही पीपल की पूजा कर सकते हैं.प्राचीन भारतीय संस्कृति में दिनचर्या का शुभारंभ हवन, यज्ञ, अग्निहोत्र आदि से होता था. तपस्वी और ऋषि-मुनि, सद्गृहस्थों, वटुक-ब्रह्मचारी नित्य प्रति यज्ञ किया करते थे. प्रातः और सायं यज्ञ करके संसार के विविध रोगों का निवारण भी होता था. ब्रह्मवर्चस शोधसंस्थान की किताब ‘यज्ञ चिकित्सा’ में बताया गया है कि यज्ञों का वैज्ञानिक आधार है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी प्राचीन चिकित्सा पद्धति का सहारा लिया जा सकता है, जानकारों की ओर से इसी क्रम में संक्रमण की रोकथाम और विषाणुओं को नष्ट करने के लिए प्राचीन वेद और पुराण में यज्ञ करने की बात कही गई है और वातावरण की शुद्धि के लिए बहुत ही कारगर बताया गया है.
वेदकाल से भारत में यज्ञ कर्म किए जाते हैं. भारतीय संस्कृति में यज्ञों का आध्यात्मिक लाभ होता था साथ ही इससे वैज्ञानिक स्तर पर भी अनेक लाभ बताए गए हैं. सहज सरल और प्रतिदिन किया जाने वाला यज्ञ है ‘अग्निहोत्र’. अग्निहोत्र नियमित करने से वातावरण की शुद्धि होती है. साथ ही उससे पीड़ित व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है. यही नहीं यज्ञ करने से वास्तु और पर्यावरण की भी रक्षा होती है.