Janmashtami 2020 Date: 11 और 12 अगस्त को मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जनिए किस तारीख को है श्रेष्ठ मुहूर्त
भादो का महीना चल रहा है. भादो सावन की तरह त्योहारों का महीना माना जाता है. भादो के महीने की षष्ठी को बलराम जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. भादो महीने की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस माहीने में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस बार जन्माष्टमी 11 और 12 अगस्त को मनाई जाएगी. जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से लेकर 02 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा. पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. जन्माष्टमी के पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है.
12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कर पंचामृत अर्पित करना चाहिए. माखन मिश्री का भोग लगाएं. हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है. मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
दो दिन मनााया जाता है जन्माष्टमी
भारत में लोग अलग–अलग तरह से जन्माष्टमी मानते हैं. वर्तमान समय में जन्माष्टमी को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन साधू-संत जन्माष्टमी मानते हैं. मंदिरों में साधू-संत झूम-झूम कर कृष्ण की अराधना करते हैं, इस दिन साधुओं का जमावड़ा मंदिरों में सहज है. उसके अगले दिन दैनिक दिनचर्या वाले लोग जन्माष्टमी मानते हैं.
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा में उल्लास
इस बार 12 अगस्त को मो मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए ग्रामीण इलाको से श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर पूरी मथुरा और वहां पहुंचे श्रद्धालु कृष्णमय हो जाते है. मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है. मथुरा में जन्माष्टमी के दिन महिलाएं और पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं. इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है.
द्वारकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता हैं, जिनमें भारी भीड़ होती है. भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढ़ा ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिड़क कर छप्पन भोग का महाभोग लगाते है. वाद्ययंत्रों से मंगल ध्वनि बजाई जाती है.
जानें जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करें. इसके बाद अपने घर की विशेष सजावट करें. घर के अंदर सुन्दर पालने में बालरूप श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण की पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें. विद्वानों, माता-पिता और गुरुजनों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें, इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें. इस दिन के लिए आप अपने घर को सजा सकते हैं.