दिल्ली के बॉर्डर पर 31वें दिन भी डटे हुए है किसान
दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन को आज पूरा एक महीना हो चुका है। पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन देश के कई राज्यों में फैलने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया है। सड़कों पर किसान बढ़ते गए तो आंदोलन में शामिल किसानों की जान भी जाती रही और इसकी गूंज विदेशों तक पहुंच गई।
एक महीने में किसान संगठनों के नेताओं की 22 बार बैठक हुई और उनमें नेशनल हाईवे जाम से लेकर अनशन तक की रणनीति बनाई गई। इस बीच सरकार ने छह बार प्रस्ताव भी दिए, जिनमें से तीन पर बातचीत के लिए किसान गए। उसके बावजूद गतिरोध कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है और किसान केवल एक मांग पर अड़े हुए हैं कि कृषि कानून रद्द किए जाएं।
एक महीना पूरा कर चुका किसान आंदोलन कब तक चलेगा, यह कोई नहीं जानता है। पंजाब के किसानों ने कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर एक महीने पहले दिल्ली के लिए कूच किया था। बैरियर व पत्थर हटाते हुए आधी रात को हरियाणा में पहुंचने शुरू हो गए थे। सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई तो नेशनल हाईवे 44 पर पड़ाव डाल दिया गया और उसी दिन से किसान वहां डटे हुए हैं।
उस समय पंजाब के करीब 25 हजार किसान ही यहां थे, लेकिन उसके बाद हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, ओडिशा, केरल समेत अन्य राज्यों के किसान भी पहुंचने शुरू हो गए। आंदोलन लंबा चलता देखकर पंजाब के किसान के कई जत्थे बाद में बॉर्डर पर पहुंचे और किसानों की संख्या बढ़कर 50 हजार से अधिक हो गई। उस समय तापमान ठीक था, बाद में ठंड बढ़ने लगी। ठंड में हार्टअटैक होने से किसानों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन इसके बावजूद लाखों किसान आज भी दिल्ली सीमा पर बैठे हैं और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
दूसरी तरफ सरकार ने एक बाग फिर किसानों का वार्ता का प्रस्ताव दिया था जिस पर किसान आज दोपहर 2 बजे बैठक कर फैसला लेंगे। किसान संगठनों ने शुक्रवार को भी इस पर विचार किया था। सरकार को उम्मीद है कि दो-तीन दिनों में किसानों के साथ बातचीत शुरू हो सकती है।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 31वें दिन किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की सभी लाइनों को बंद कर दिया है। युवा किसान सड़क पर बैठकर लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। सरकार से कानूनों को वापस लेने के मांग उठ रही है। किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे 48 पर हरियाणा-राजस्थान सीमा के खेड़ा बॉर्डर से लेकर गुरुग्राम तक जाम की स्थिति है। जाम से बचने के लिए डायवर्जन प्वाइंट की जानकारी होना जरूरी है। गाज़ीपुर (दिल्ली-यूपी) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए सिंघु बॉर्डर की तरह दूसरी टेंट सिटी तैयार की गई है।
दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन को आज पूरा एक महीना हो चुका है। पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन देश के कई राज्यों में फैलने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया है। सड़कों पर किसान बढ़ते गए तो आंदोलन में शामिल किसानों की जान भी जाती रही और इसकी गूंज विदेशों तक पहुंच गई।
एक महीने में किसान संगठनों के नेताओं की 22 बार बैठक हुई और उनमें नेशनल हाईवे जाम से लेकर अनशन तक की रणनीति बनाई गई। इस बीच सरकार ने छह बार प्रस्ताव भी दिए, जिनमें से तीन पर बातचीत के लिए किसान गए। उसके बावजूद गतिरोध कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है और किसान केवल एक मांग पर अड़े हुए हैं कि कृषि कानून रद्द किए जाएं।
एक महीना पूरा कर चुका किसान आंदोलन कब तक चलेगा, यह कोई नहीं जानता है। पंजाब के किसानों ने कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर एक महीने पहले दिल्ली के लिए कूच किया था। बैरियर व पत्थर हटाते हुए आधी रात को हरियाणा में पहुंचने शुरू हो गए थे। सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई तो नेशनल हाईवे 44 पर पड़ाव डाल दिया गया और उसी दिन से किसान वहां डटे हुए हैं।
उस समय पंजाब के करीब 25 हजार किसान ही यहां थे, लेकिन उसके बाद हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, ओडिशा, केरल समेत अन्य राज्यों के किसान भी पहुंचने शुरू हो गए। आंदोलन लंबा चलता देखकर पंजाब के किसान के कई जत्थे बाद में बॉर्डर पर पहुंचे और किसानों की संख्या बढ़कर 50 हजार से अधिक हो गई। उस समय तापमान ठीक था, बाद में ठंड बढ़ने लगी। ठंड में हार्टअटैक होने से किसानों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन इसके बावजूद लाखों किसान आज भी दिल्ली सीमा पर बैठे हैं और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
दूसरी तरफ सरकार ने एक बाग फिर किसानों का वार्ता का प्रस्ताव दिया था जिस पर किसान आज दोपहर 2 बजे बैठक कर फैसला लेंगे। किसान संगठनों ने शुक्रवार को भी इस पर विचार किया था। सरकार को उम्मीद है कि दो-तीन दिनों में किसानों के साथ बातचीत शुरू हो सकती है।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 31वें दिन किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की सभी लाइनों को बंद कर दिया है। युवा किसान सड़क पर बैठकर लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। सरकार से कानूनों को वापस लेने के मांग उठ रही है। किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे 48 पर हरियाणा-राजस्थान सीमा के खेड़ा बॉर्डर से लेकर गुरुग्राम तक जाम की स्थिति है। जाम से बचने के लिए डायवर्जन प्वाइंट की जानकारी होना जरूरी है। गाज़ीपुर (दिल्ली-यूपी) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए सिंघु बॉर्डर की तरह दूसरी टेंट सिटी तैयार की गई है।