सुहाग की चीजे केवल सजने के लिए नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण हैं इनके पीछे
प्राचीन ऋषियों ने कुछ ऐसे साधन निर्मित किए जिनसे उनके मन और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके। प्रचलन बढ़ने पर इनको सुन्दर गहनों का रूप मिलने लगा और यह नियमपूर्वक पहने जाने लगे। आइए जानते हैं क्या हैं फायदे इन आभूषणों के.
स्वर्ण आभूषण गर्मी और चांदी के गहने ठंड का असर करते हैं। कमर के ऊपर के अंगों में सोने के गहने और कमर से नीचे के अंग में चांदी के आभूषण पहनने चाहिए... यह नियम शरीर में गर्मी और शीतलता का संतुलन बनाए रखता है।
चूड़ी कलाई की त्वचा से घर्षण करके हाथों में रक्त संचार बढाती है। यह घर्षण ऊर्जा भी पैदा करता है जो थकान को जल्दी हावी नहीं होने देता।
कलाई में गहने पहनने से श्वास रोग, ह्रदय रोग की संभावना घटती है। चूड़ी मानसिक संतुलन बनाने में सहायक है।
विवाहित महिलाएं पैरों में बीच की 3 अंगुलियों में बिछिया पहनती है। यह गहना सिर्फ साज-श्रृंगार की वस्तु नहीं है। दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोनल सिस्टम सही रूप से कार्य करता है, बिछिया पहनने से थाइराइड की संभावना कम हो जाती है।
बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं।
पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है।पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है।वास्तु के अनुसार पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा को दूर करती है।चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं।